ऐसे ढोंगी संत से, करिए क्या फरियाद।
जो पूजन के नाम पर, भड़काए उन्माद।।
सौरभ बाबा बन गए, धूर्त विधर्मी लोग।
भोली जनता छल गई, ढोंगी करते भोग।।
पूजन को साधन बना, रोज करें व्यापार।
ढोंगी बाबा भक्त बन, बना रहे लाचार।।
कुकर्मों से हैं रंगे, रोज-रोज अखबार।
बाबाओं के देखिए, मायावी किरदार।।
चमत्कार की आस में, बाबा करे विखंड।
हुआ धर्म के नाम पर, सौरभ यह पाखंड।।
पूजन का पाखंड कर, करें पुण्य की बात।
ढोंगी बाबा से मिले, सदा यहां आघात।।
धर्म कर्म से छल करें, बनकर बाबा खास।।
ढोंगी होते वो सदा, नहीं करें विश्वास।।
डॉ. सत्यवान सौरभ