Electronic Waste : आपने आखिरी बार अपना मोबाईल डिवाइस कब बदला था ? क्या आपने अपने आखिरी फोन को रिपेयर कराने की कोशिश की थी? क्या उसे रिपेयर करना संभव था?
वर्तमान में दुनिया में जितने भी लोग मौजूद है उससे दो गुने से भी ज्यादा स्मार्टफोन दुनिया में मौजूद है लगभग 16 अरब। इनमें से लगभग 5.3 अरब फोन फेंक दिए जाएंगे, अब इन फेंके हुए फोन का क्या होगा ? ये फेंके हुए फोन हवा, पानी और मिट्टी को खराब करेंगे या फिर पास के जलस्त्रोत में मिलकर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाएंगे।
फोन में सोना चांदी भी शामिल –
एक स्मार्टफोन के अंदर 62 प्रकार की धातुएं हो सकती हैं, यहीं नही इन धांतुओं में सोना, चांदी और पैलेडियम जैसी कीमती धांतुए मिली होती है, दिन भर लोगों की निगाहें सोने की कीमत के उतार चढ़ाव पर तो बनीं रहती है लेकिन इन कचरें में मौजूद सोने जैसी बेसकीमती धातुओं की सुध कोई नहीं लेता है।
इस कचरे में न सिर्फ फोन शामिल हैं बल्कि टैबलेट और कंप्यूटर से लेकर वॉशिंग मशीन, AC और फ्रिज तक इस ई-कचरे का बड़ा हिस्सा बन रहे हैं।
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भारत की स्थिति –
भारत दूनिया की पांचवी सबसे बडी अर्थव्यवस्था के साथ साथ भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा करने वाला देश भी है। भारत में हर साल करीब 10 लाख टन ई-कचरा निकलता है इस कचरे में सबसे ज्यादा कंप्यूटर होते हैं, साथ ही ऐसे ई कचरे में 40 फीसदी सीसा और 70 फीसदी भारी धातुएं मिलीं होती हैं।
इलेक्ट्रानिक कचरा पैदा करने के मामले में दुनिया की दो प्रमुख ताकते अमेरिका और चीन कचरे के मामले में भी सबसे आगे है।
क्या है कारण –
तेजी से बदलती दुनिया में हर साल बड़े बदलाव आ जाते है, Social Media में तेजी से बदलाव आ रहे, नए नए App, टेक्नोलॉजी आ रहीं है उसी तरह हमारें फोन को सपोर्ट देने के लिए फोन को भी बदलते रहना पड़ता है।
इसी तरह कंपनियां भी चाहती है कि लोग ज्यादा से ज्यादा नए फोन खरींदे और पुराने डिवाइस को यूं ही फेंक दे क्योंकि उन्हें रिसाइकल करने में भी तो कंपनी के पैसे खर्च होते है।
इसी तरह पुराने AC, फ्रिज, वाशिंग मशीन हर साल हर त्यौंहार में इनके नए नए Model आ जाते है इससे लोगों में इन्हें खरीदने की चाहत बढ़ जाती है और पुराने Model अगर खराब भी होते है तो उनके स्पेयर पार्ट्स मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
नतीजतन रिपेयर न हो पाने के कारण ये डिवाइस भी इलेक्ट्रानिक वेस्ट में जा मिलते है। अगली बार जब आप भी ऐसा कोई डिवाइस खरीदने जाए तो ध्यान रखें कि आप ऐसा दिखावे के लिए कर रहें या फिर आपको सच में इसकी जरुरत है।
क्या है उपाय –
इसी साल यूरोप में वाशिंग मशीन, फ्रिज और टीवी के बनने के दस साल बाद तक स्पेयर पार्ट्स बनाने का आदेश दिया है। भारत में भी इसी साल जुलाई महीने में ‘राइट-टू-रिपेयर’ कानून लाने की बात की जा रही थी।
इस कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक आईटम बनाने वाली कंपनियों की जिम्मेदारी बढ़े, और लोकल रिपेयर शॉप को भी बढ़ावा मिले जो कि रोजगार और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाए।
प्रिटंर और फोटो कापी मशीन बनाने वाली मशहूर कंपनी कैनन अपने पोडक्ट जैसे कि प्रिंटर कंपनियों को किराए पर मुहैया कराती है, लीज खत्म हो जाने के बाद प्रिंटर को दोबारा साफ सुथरा बना कर दूसरे ग्राहक को दोबारा किराए पर दे देती है और खराब प्रिंटर से 80 फीसदी सामान दोबारा इस्तेमाल में ला लेती है।
स्मार्टफोन के मामले में भी अभी भी कई यूजर केवल बेसकि फीचर वाला फोन चाहते है, जिन्हें आसानी से पुराने फोन को रिपेयर कर कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा सकता है।
लेकिन कंपनियां जल्दी ही पुराने फोन्स को सपोर्ट और अपडेट देना बंद कर देती हैं, जिससे वे ज्यादा सुरक्षित नही माने जाते, कई लोगों की ओर से यह भी शिकायत आती है कि अपडेट करने के बाद उनका फोन पहले की अपेक्षा धीमा काम कर रहा है।
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साथ ही डिजाइन को Compact और पतला बनाने के चक्कर में ऐसा फोन बना दिया जाता है जिसे आसानी से रिपेयर नही कराया जा सकता है।
इन सभी कारणों के चलते ग्राहक को मजबूरन नए फोन और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की ओर जाना पड़ता है। ऐसे में हमें अपने प्रयावरण की हालत का ध्यान रखते हुए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की सही तरीके से देखरेख और उसे सही तरीके से रिसाइकल करना चाहिए जैसे कि Exchange offer में दे देना।