ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। डीयूटीए (दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) के आह्वान पर दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों शिक्षकों ने शुक्रवार को शिक्षा मंत्री आतिशी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर नारेबाजी की। दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षकों की ओर से यह विरोध मार्च निकाला गया। डीयू टीचर्स ने दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को गलत व निराधार बताया है।
डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार अब इन कॉलेजों को पूरी तरह से वित्तपोषित करने की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और चालू वित्तीय वर्ष 2024-2025 में पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के लिए 12 कॉलेजों को अनुदान सहायता आज तक जारी नहीं की गई है। ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार आतिशी के पत्रों के अनुसार अपनी स्थिति को दोहरा रही है, जिसमें कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान सहायता जारी नहीं की जाएगी।
प्रोफेसर भागी ने बताया कि दिल्ली की शिक्षा मंत्री ने दावा किया है कि टीचिंग के 939 पद अप्रूव्ड नहीं हैं, इस पत्र के अनुसार कार्यरत स्थायी और तदर्थ शिक्षकों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है। डूटा ने आतिशी के उस बयान की निंदा की है और दोनों पत्रों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। ये पत्र, साथ ही फंड में कटौती और इन कॉलेजों को वित्तीय रूप से बीमार घोषित करना, इन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के लिए सहमत करने की रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है। आप सरकार चाहती है कि स्टूडेंट फंड से टीचर्स को सैलरी का भुगतान किया जाए, जो कि डूटा को स्वीकार्य नहीं है।
दिल्ली सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डीयू के शिक्षकों ने केजरीवाल सरकार से तुरंत अनुदान जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वे तुरंत पूरा अनुदान, स्वीकृत शिक्षण पद जारी करें और स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करें। शिक्षकों के प्रदर्शन में प्रोफेसर वीएस नेगी, डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. हंसराज सुमन, डॉ. चमन सिंह, प्रोफेसर पंकज गर्ग, डॉ. एसके सागर, डॉ. के एम वत्स आदि के अलावा 12 कॉलेजों के शिक्षकों ने बड़ी संख्या में शिरकत की है।