ग्रेटर नोएडा। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में शनिवार को ड्रग रजिस्टेंट टीबी (दवा प्रतिरोधी टीबी) वार्ड का शुभारंभ हुआ, जिसका उद्घाटन विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डा. उमर हैदर अकील, जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. शिरीष जैन व संस्थान के निदेशक ब्रिग्रेडियर डा. राकेश गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया।
संस्थान के निदेशक डा. राकेश गुप्ता ने बताया – संस्थान में ड्रग रजिस्टेंट टीबी (डीआर-टीबी) के निदान और प्रबंधन के लिए नवीनतम अद्यतन बुनियादी ढांचे के साथ 10 बिस्तर का वार्ड शुरू किया गया है। उन्होंने कहा- वर्ष 2025 तक देश से टीबी को (दवा संवेदनशील और दवा प्रतिरोधी टीबी दोनों) जड़ से खत्म करने की दिशा में यह एक प्रयास है। डा. उमर हैदर ने बताया- वार्ड की स्थापना से बुखार, खांसी, कमजोरी और टीबी के अतिरिक्त लक्षणों से पीड़ित रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा शिरीष जैन से सभी लोगों से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में टीबी के खात्मे में अपना योगदान दिये जाने की अपील की। उन्होंने बताया- दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसते समय बलगम या खून आना, थकान रहना, वजन कम होना, भूख न लगना, रात में सोते समय पसीना आना, बुखार और सीने में दर्द क्षय रोग के लक्षण हो सकते हैं। जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी की निशुल्क जांच व उपचार निशुल्क उपलब्ध है। क्षय रोग के लक्षण नजर आते ही इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही क्षय रोगियों की पहचान जरूरी है ताकि तत्काल उनका उपचार शुरू कर क्षय रोग के फैलाव को रोका जा सके। उन्होंने बताया उपचार न होने की स्थिति में फेफड़ों की टीबी का रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित करता है।
इस अवसर पर जिम्स के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. सौरभ श्रीवास्तव, पल्मोनरी मेडिसिन की विभागाध्यक्ष एवं टीबी वार्ड की इंचार्ज डा. रश्मि उपाध्याय, संकायाध्यक्ष डा रम्भा पाठक आदि उपस्थित रहे।