नई दिल्ली, केंद्र शनिवार से जम्मू और आसपास के इलाकों में दवाओं की डिलीवरी के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा, जिसमें शुरू में वैक्सीन की डिलीवरी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मीडियाकर्मियों से कहा, “क्षेत्र के लिए यह एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू होने जा रहा है। ड्रोन पूरी तरह से हमारे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित और निर्मित किया गया है।”
सिंह ने कहा कि वह खुद जम्मू में इस परियोजना का शुभारंभ करेंगे।
ड्रोन को बेंगलुरू की राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं (एनएएल) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है, जो वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) का एक घटक है, जो एक स्वायत्त सोसायटी है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करते हैं।
फिलहाल के लिए, डिलीवरी कोविड के टीकों तक सीमित होगी और एक बार इस इसके सफल होने के बाद, इसका उपयोग दूरस्थ, पहाड़ी क्षेत्रों में दवाओं की नियमित डिलीवरी के लिए किया जाएगा।
जम्मू और आसपास के इलाके सामरिक महत्व की ²ष्टि से संवेदनशील हैं। कुछ महीने पहले ड्रोन का इस्तेमाल कर सेना के एक प्रतिष्ठान पर हमला हुआ था। क्या ऐसे मामले में ‘टीके के लिए ड्रोन’ की अनुमति दी जाएगी?
ऐसी आशंकाओं को दूर करते हुए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “ड्रोन को अधिकृत एजेंसियों जैसे अस्पतालों द्वारा तैनात किया जाएगा, न तो कोई इसका उपयोग कर सकता है और न ही किसी या²च्छिक (रेंडम) व्यक्ति को इसका उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।”
एनएएल ने ड्रोन को ‘ऑक्टाकॉप्टर’ कहा है और यह 500 मीटर एजीएल की परिचालन ऊंचाई और 36 किमी प्रति घंटे की अधिकतम उड़ान गति से उड़ सकता है। इसका उपयोग दवाओं, टीकों, भोजन, डाक पैकेट, मानव अंगों (जैसे हृदय प्रत्यारोपण के लिए हृदय) आदि जैसे अंतिम मील वितरण के लिए विभिन्न प्रकार के बीवीएलओएस अनुप्रयोगों (एप्लिकेशंस) के लिए किया जा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि एनएएल ऑक्टाकॉप्टर एक शक्तिशाली ऑन-बोर्ड एम्बेडेड कंप्यूटर और कृषि कीटनाशक छिड़काव, फसल निगरानी, खनन सर्वेक्षण, चुंबकीय भू सर्वेक्षण मानचित्रण आदि जैसे बहुमुखी अनुप्रयोगों के लिए नवीनतम पीढ़ी के सेंसर के साथ एकीकृत है।