गोरौल (वैशाली)। गोरौल प्रखंड में ग्राम कचहरी सचिव के तीन रिक्त पदों के लिए कुल 342 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 237 आवेदन स्वीकृत किए गए, जबकि 105 आवेदन विभिन्न कारणों से अस्वीकृत कर दिए गए। हालाँकि, बिचौलियों की दखलंदाजी और गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आ रही हैं, जिससे बहाली प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।
योग्यता से अधिक डिग्रीधारियों ने भी किया आवेदन:
ग्राम कचहरी सचिव पद के लिए न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई थी, लेकिन स्नातक और यहाँ तक कि पीजी डिग्री धारकों ने भी आवेदन किया है।
रिक्ति न होने के बावजूद जमा हुए आवेदन:
ग्राम कचहरी सचिव के पदों के लिए कुछ पंचायतों में रिक्ति नहीं होने के बावजूद भी वहाँ के लिए आवेदन किए गए, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
पंचायतवार स्थिति:
भानपुर बरेवा पंचायत – 1 पद के लिए 219 आवेदन, 165 स्वीकृत, 54 अस्वीकृत।
बकसामा पंचायत – 1 पद के लिए 91 आवेदन, 71 स्वीकृत, 20 अस्वीकृत।
पिरोई समसुद्दीन पंचायत – 1 पद के लिए 132 आवेदन, 101 स्वीकृत, 31 अस्वीकृत।
भुआलपुर उर्फ बहादुरपुर पंचायत – कोई रिक्त पद नहीं, फिर भी 10 आवेदन जमा।
इस्माईपुर पंचायत – 16 आवेदन, कटरमाला – 18, लोदीपुर – 22, महमदपुर पोझा – 19, पिरापुर मथुरा – 10, रूसुलपुर कोरीगाँव – 8, रूसुलपुर तुर्की – 9, सोंधो दूल्ह – 19 आवेदन।
बिचौलियों की सक्रियता और पैसों की मांग:
प्रक्रिया शुरू होते ही बिचौलियों का हस्तक्षेप देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, बिना रिक्ति वाले स्थानों पर भी सेटिंग के जरिए बहाली की बातें चल रही हैं। उम्मीदवार दिनभर सरपंच, उपसरपंच और प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।
प्रशासन ने पारदर्शिता का दिया भरोसा:
प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) उदय कुमार ने कहा,
“बहाली प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी। योग्य उम्मीदवारों का ही चयन किया जाएगा। बिचौलियों से सावधान रहें। यदि कोई पैसों की मांग करता है तो उसकी शिकायत करें, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
उम्मीदवारों में संशय, निष्पक्ष बहाली की माँग:
उम्मीदवारों को आशंका है कि यदि प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती तो बहाली में धांधली हो सकती है। वे निष्पक्ष चयन प्रक्रिया की माँग कर रहे हैं ताकि योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय न हो।
प्रशासन को निगरानी बढ़ाने की जरूरत:
बिचौलियों की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए प्रशासन को सतर्कता बढ़ानी होगी। पैसों की लेन-देन की शिकायतों की गहन जाँच और सख्त कार्रवाई से ही इस बहाली प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सकता है।