उत्तर प्रदेश में राजपूत-दलित समीकरण बना रही राजपूतों की नाराजगी

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चरण सिंह 
बसपा मुखिया मायावती ऐसे ही बोल्ड शासक नहीं रही हैं। ऐसे ही उनकी राजनीति का लोहा नहीं माना जाता रहा है। यह भी जमीनी हकीकत है कि इन लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में बसपा को मृत प्राय पार्टी माना जाने लगा था। ऐसा माना जाने लगा था कि मायावती अब बीजेपी के खिलाफ कुछ बोल नहीं पाएंगी पर जिस तरह से चुनाव प्रचार में उन्होंने न केवल केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है बल्कि सरकार बनने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने का वादा भी जनता से कर दिया है। गुजरात राजकोट से भाजपा प्रत्याशी परषोत्तम रूपाला की राजपूत समाज पर अमर्यादित टिप्पणी और राजपूत सांसदों के टिकट काटने के विरोध में गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में राजपूत समाज आंदोलन पर है। सबसे अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। सहारनपुर ननौता, मेरठ सिसौली, नोएडा के सदरपुर गांव और सरधना खेड़ा में हुई राजपूत महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि भाजपा को हराना है। राजपूतों की हुंकार को भुनाने के लिए बसपा मुखिया मायावती ने जबर्दस्त रणनीति बनाई है।

 


बसपा मुखिया मायावती अब राजपूतों की नाराजगी को भुनाने में लग गई है। गौतमबुद्धनगर में राजेंद्र सोलंकी को टिकट देने के बाद अब जौनपुर से धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह और गाजीपुर से डॉ. उमेश कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। सदरपुर गांव में हुई राजपूत महापंचायत में राजेंद्र सोलंकी को समर्थन देने के बाद मायावती राजपूत-दलित समीकरण बनाने में जुट गई हैं। जय राजपूताना, जय भीम के नारे लगाये जा रहे हैं। धनंजय सिंह को सजा, बृजभूषण सिंह को अभी तक टिकट न मिलना राजपूतों को अखर रहा है। ऐसे में अब जब मायावती ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को टिकट दे दिया है और राजपूत समाज श्रीकला को समर्थन देने की बात कर रहा है। ऐसे में बीजेपी यदि बृजभूषण सिंह का टिकट काटती है तो पता चला कि मायावती ने बृजभूषण सिंह को भी टिकट दे दिया।
दरअसल राजपूत समाज लामबंद होकर बीजेपी के साथ जुड़ा रहा है। यह जुड़ाव भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही रहा है। कितनी बिरादरी बीजेपी से जुड़ी और टूटी पर राजपूत समाज बीजेपी से अलग नहीं हुआ। इस बार अचानक राजपूत समाज बीजेपी से नाराज हो गया है। बहाना भले ही परषोत्तम रुपाला की बयानबाजी माना जा रहा हो, राजपूत नेताओं का टिकट कटना माना जा रहा हो पर इसकी असली वजह कुछ और ही लग रही है। राजपूत समाज को लगने लगा है कि राजपूत नेताओं के टिकट का काटना मतलब योगी आदित्यनाथ का कद कम करना। ऐसे में राजपूत समाज के लोग यह मानकर चल रहे हैं कि अगला नंबर योगी आदित्यनाथ का तो नहीं है। राजपूत समाज के लोगों के दिमाग में यह बात घर कर गई है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मिलकर योगी आदित्यनाथ को साइड करने में लगे हैं। वैसे भी डेढ़ साल बाद भारतीय जनता पार्टी के संविधान के हिसाब से नरेंद्र मोदी रिटायर्ड होने वाले हैं। ऐसे में बीजेपी में दो बड़े दावेदार प्रधानमंत्री पद के हैं। एक योगी आदित्यनाथ और दूसरे अमित शाह। पीएम मोदी अपने बाद अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं और राजपूत समाज किसी भी हालत में योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहता है।

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