साध्वी अरुंधति गिरि
ब्रह्मलीन स्वामी धर्म सम्राट, महामंडलेश्वर, विश्व संत की मूर्ति का अनावरण प्रज्ञा साई धाम साकेत में कल सुबहके सानिध्य में किया गया| गुरु देव सनातन धर्म के सभी त्यौहारों को बहुत ही श्रद्धा से अपने शिष्यों और भक्तों के साथ मनाया करते थे|
आज भी ये सभी पर्व हमारी गुरु माँ ठीक उसी प्रकार से मनाती हैं जैसे गुरुदेव मनाया करते थे, हम सभी को आज भी यही लगता है कि गुरु जी हर पल हमारे साथ है, इन अनुभूतियों को शब्दों में साझा नहीं किया जा सकता है|मैं बहुत ही सौभाग्यशाली रही हूँ कि गुरुजी के सानिध्य में दीपावली की पावन रात्रि में सात घंटे हवन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है|
आज भी सदा ही यह एहसास होता रहता है कि मेरे गुरुजी सदैव साथ है, गुरुदेव के द्धारा मंत्र दीक्षा प्राप्त करने के बाद सन्यास दीक्षा गुरुजी की परमप्रिय, आज्ञाकारी शिष्या साध्वी विभानंदगिरि जी महाराज के द्वारा दिया जाना मेरे लिए बहुत ही भाग्यशाली रहा| महापुरुष दीक्षा पूर्ण कर अब मैं स्वतंत्र रुप से अपने साहित्य समाज में अपनी साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ अपनी गुरु माँ के आदेशों को निभा रही हूँ|
गुरुदेव भगवान हैं जो कुछ कार्य हितार्थ पृथ्वी पर आए और अपने सत्कर्मों द्वारा विश्वस्तर पर ख्यातिलब्ध होते हुए अपने विचारों, प्रवचनों द्वारा समाज को बदलने में सक्षम हुए, एक अद्भुत विद्वता की ज्योति सदैव प्रज्वलित हो उनके चेहरे से प्रस्फुटित हो दिव्यतम प्रकाश और ऊर्जा से सामने बैठे भक्तों एवं शिष्यों को ओजस्वी और ऊर्जावान बनाती रही है|आज भी साकेत के प्रज्ञा धाम आश्रम में प्रवेश करते ही एक दिव्य शक्ति स्वागतार्थ महसूस की जा सकती है, यह सब मेरे स्वयं के अन्य हैं|
किसी भी लोभ लालच से परे मेरे गुरुजी मंत्र दीक्षा देते समय अपने भक्तों को बिना दक्षिणा रहित शिष्य बनाते थे|और उसको एक बुरी आदत छोड़ देने के लिए कहते थे|अपने इस श्रेष्ठ विचारों से जीवन भर अनेकों लोगों को बुराईयों से जीवन पर्यंत करते रहे हैं, उनके जीवन का अध्यात्म विल्कुल अलग रहा है|आज के इस कलियुगी समय में नारी शक्ति को अध्यात्म में स्थापित करने का बीड़ा उठाना बहुत ही दुर्लभ कार्य है|लेकिन गुरुजी ने यह कार्य भी किया, और विश्व के अनेक देशों में स्त्रियों को अपना उतराधिकारी नियुक्त करते हुए नारी का मान, सम्मान बढ़या|
आज देश की राजधानी दिल्ली में प्रज्ञा साई धाम साकेत आश्रम और अन्य आश्रमों की उतराधिकारी मेरी गुरु माँ साध्वी विभानंदगिरि जी महाराज हैं|अपने गुरु देव के पदचिन्हों पर चलते हुए अनेक प्रकार के अध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हुए|अपने प्रवचनों द्वारा सभी भक्तों शिष्यों एवं समाज को लाभान्वित कर रही हैं|गुरु माँ के सानिध्य में प्रज्ञा मिशन और गुरु जी के सभी अधूरे कार्यो को पूर्ण कर रही हैं|सभी कार्य गुरु कृपा से भलिभाति आयोजित हो रहा है कहीं भी किसी प्रकार की अवरोधक गतिविधियों द्वारा कोई रुकावट नहीं सफल हो पा रही है, यही तो है गुरु जी की अद्भुत महिमा|जय हो गुरुदेव भगवान की|