नहाय-खाय के साथ व्रतियों ने लगाई आस्था की डुबकी

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 सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है छठ पर्व

 पटना। लोक आस्था का महापर्व छठ आज (5 नवंबर) से नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया है. व्रती महिलाएं गंगा नदी में स्नान कर पूजा कर रही हैं. इसके बाद कद्दू की सब्जी और चावल खाकर व्रत का संकल्प लेंगी. वहीं, कल खरना की पूजा की जाएगी. इसके बाद के दो दिनों में भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा. व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं.
छठ व्रतियों ने राजधानी पटना में एबीपी न्यूज़ के संवाददाता से बात करते हुए कहा कि बहुत बेहतर व्यवस्था की गई है. साल भर से छठ का हम लोग इंतजार कर रहे थे. आज नहाय खाय के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई है. यहां स्नान कर हम लोग पूजा पाठ किए हैं. 36 घंटे का निर्जला उपवास रहेगा.
वहीं, छठ महापर्व में जो अनेकता में एकता है, वह शायद ही किसी अन्य पर्व में देखने को नहीं मिलती है. सूर्य की उपासना का यह महापर्व सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है. छठ पूजा में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बिहार पेश कर रहा है. छठ महापर्व के लिए मुस्लिम महिलाएं मिट्टी के चूल्हे बनाकर बेच रही हैं. सालों से इस महापर्व के लिए मिट्टी के चूल्हे बनाती आ रही हैं. इसे बनाते समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. चूल्हे धड़ाधड़ बिक रहे हैं. मिट्टी के नये चूल्हे पर ही छठ का प्रसाद तैयार किया जाता है.
चूल्हे बनाने वाली मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि इसे बनाते समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. एक ट्रैक्टर मिट्टी की कीमत 3000 से 4000 रुपये तक होती है. एक से दो ट्रैक्टर मिट्टी खरीदते हैं. उसके बाद चूल्हे तैयार करते हैं. इन चूल्हों की कीमत 150 रुपये है. एक दिन में 20 से 25 चूल्हे बिक जा रहे हैं. छठ मैया में हम लोगों की बहुत आस्था है.
बता दें कि छठ घाटों पर तैयारियां पूरी कर ली गई है. पटना में गंगा समेत अन्य नदियों के करीब 500 घाटों पर छठ मनेगा. तैयरियां पूरी हो गई हैं. गंगा में मोटरबोट से रिवर पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है. घाटों पर अस्थायी शौचालय, रनिंग वाटर-टैप, अस्थायी चेंजिंग रूम, यात्री शेड, नियंत्रण कक्ष की व्यवस्था की गई है. मेडिकल टीम के साथ एम्बुलेंस तैनात रहेंगी. घाटों पर लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है. सीसीटीवी से नजर रखी जाएगी. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गए हैं.

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