सहारा की 289,253 करोड़ की संपत्ति होने के बावजूद भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे निवेशक और कर्मचारी

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दर-दर की ठोकरें खा रहे निवेशक और कर्मचारी
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देश की संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं सुब्रत राय : दिनेश कुमार दिवाकर

सहारा की संपत्ति को कुर्क कर निवेशकों को दिया जाये उनका भुगतान : मदनलाल आज़ाद

31 जनवरी से संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार तो 7 फरवरी से राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा दिल्ली के जंतर मंतर पर कर रहा आंदोलन

चरण सिंह राजपूत 
नई दिल्ली। सहारा में आजकल बकाया भुगतान को लेकर आंदोलन चल रहा है। निवेशक और एजेंट देशभर में सहारा के कार्यालयों का घेराव कर रहे हैं। जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। स्थिति यह है कि सहारा के खिलाफ विभिन्न राज्यों के शहरों की राजधानी भोपाल, लखनऊ, पटना, कोलकाता के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली तक आंदोलन चल रहा है। संस्था में वेतन न मिलने का भी रोना रोया जा रहा है। सहारा मीडिया में तो चार-पांच महीने में वेतन मिल रहा है। वह भी आधा अधूरा। बताया जा रहा है कि 31 मार्च 2021 तक सहारा इंडिया की कुल (सकल) संपत्ति है, दो लाख नेबासी हज़ार दो सौ बावन (289,253) करोड़ रुपए थी। इसके बाद तो सहारा की कोई संपत्ति बिकी भी नहीं है तो फिर यह संपत्ति बेचकर निवेशकों का पैसा क्यों दिया जा रहा है। सहारा पर 1 लाख 25 हजार करोड़ की देनदारी बताई जा रही है।
इस बारे में राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश कुमार दिवाकर का इस बारे में कहना है कि देश में जो संवैधानिक व्यवस्था है उसको कुचलकर सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय अपनी तानाशाही चला रहे हंै। उन्होंने बताया कि यह व्यक्ति ६ साल से पैरोल पर बाहर घूम रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सहारा की एक पैसी की संपत्ति कुर्क नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की मिलीभगत के चलते सुब्रत राय निवेशकों और एजेंटों का पैसा डकार रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति संवैधानिक वस्वस्था को चुनौती दे रहा है तो देश में जितनी भी संवैधानिक संस्थाएं हैं वह सभी जनता के लिए बेकार साबित हो रही हैं। उनका कहना है कि उनके संगठन के बैनर तले ७ फरवरी से हजारों निवेशक दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक वे एक-एक पैसे का हिसाब नहीं वसूल लेते हैं।
संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार के राष्ट्रीय प्रवक्ता मदनलाल आजाद का कहना है कि सहारा की संपत्ति को कुर्क करके निवेशकों का पैसा दिलाया जाए। उनका कहना है कि देश में सहारा की तरह जितनी भी चिटफंड कंपनियां चल रही हैं ये सभी जनता की गाढ़ी कमाई को लूट रही हैं। अब समय आ गया है कि इनके खिलाफ मोर्चा खोला जाए। उनका कहना है कि सहारा जैसी ठगी करने वाली कई कंपनियों के खिलाफ उनका संगठन ३१ जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगा। इस आंदोलन में मांग की जाएगी कि बजट में १० लाख करोड़ का एक विशेष पैकज घोषित विभिन्न कंपनियों के शिकार हुए लोगों को पैसा दिलाया जाए।
सहारा में पैसे जमा करने की बात करें तो 2020-2021 की बात छोड़ दें तो 2014 से हर वर्ष औसतन नौ लाख से ज्यादा निवेशक सहारा इंडिया से जुड़ते रहें हैं। अंतिम 8 वर्षों में सहारा इंडिया से लगभग छह करोड़ उनसठ लाख अठाइस हजार छप्पन (65928756) लोग जुड़े और एक लाख सरसठ हज़ार पांच सौ इक्यासी करोड़ रुपये निवेश किये गए। यह आंकड़े दिसंबर 2021 तक के हैं। यदि वर्ष 2014 में 8855386 निवेशकों ने कुल 20418. 74 करोड़ रुपए निवेश किये, वहीं 2015 में 9393477 निवेशकों ने 18518.57 करोड़, 2016 में 9295287 निवेशकों ने 19538. 17 करोड़, 2017 में 9191460 निवेशकों ने 323661.48 करोड़, 2018 में 10613428 निवेशकों ने 27633.11 करोड़ , 2019 में 8945590 निवेशकों ने 26333.54 करोड़, 2020 में 4359421 निवेशकों ने 13158.11 करोड़ और वर्ष 2021 दिसंबर तक 4974785 निवेशकों ने 18319.50 करोड़ रुपये निवेश किया है। इन आंकड़ों से साबित होता है कि सहारा के पास देनदारी से कहीं ज्यादा संपत्ति है। सहारा इंडिया के कई ऑफिसों में आये रोज हंगामा होने की खबरें आ रहीं हैं। निवेशकों का आरोप है कि उनका पॉलिसी का टर्म पूरा हो जाने के बावजूद सहारा इंडिया पैसा नहीं दे रही है। सहारा इंडिया  पैसा सेबी के पास होने की बात कर नहीं लौटा रहा है। इतना ही नहीं इस मामले में सरकार भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। निवेशक यह सहारा और सरकार की मिलीभगत का खेल बता रहे हैं। दरअसल यहां मामला सहारा, सेबी, सुप्रीम कोर्ट और निवेशकों के बीच फंसा हुआ है।
दरअसल वर्ष 2012 में जब सेबी ने सहारा इंडिया पर शिकंजा कसा था और सहारा प्रमुख सुब्रत राय को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के आरोप में जेल भेजा गया था। वर्ष 2012  में निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनी नियामक संस्था सेबी ने सहारा इंडिया पर आरोप लगाया था कि SIRECL और SHEIL ने बांड धारकों से 6,380 करोड़ व 19,400 करोड़ गलत तरीके से जुटाए। इसे अनियमितता बताकर फरवरी 2012 में सेबी ने सहारा इंडिया के दोनो कम्पनियों के बैंक खातों पर रोक लगाने और कुर्की के आदेश दिए थे। वह बात दूसरी है कि यह कुर्की अभी तक नहीं हो पाई है। दिसंबर 2012 में सहारा प्रमुख के अर्जी पर उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों का पैसा 15% ब्याज के साथ सेबी के निगरानी में तीन किस्तों में लौटने की छूट दी। सहारा ने पहली किस्त 5120 करोड़ जमा कर दी। फरवरी 2013 में जब सहारा मने दूसरी क़िस्त जमा नहीं की तो सेबी ने सहारा समूह के बैंक खाते फ्रिज़ और जायदाद जब्त करने का आदेश दे दिया।  31 मार्च 2020 तक सहारा इंडिया के द्वारा एस्क्रो खाते में 21,770 करोड़ रुपए जमा किये गए। 31 मार्च 2021 तक सहारा इंडिया के द्वारा एस्क्रो खाते में जमा की गई कुल राशि 23,191 करोड़ रुपए बताई जा रही है। दरअसल सेबी ने 2018 में एक विज्ञापन निकाला कि वह जुलाई 2018 के बाद प्राप्त किसी भी निवेशकों के दावे पर विचार नहीं करेगा। 31 मार्च 2021 तक सेबी ने कुल 115.2 करोड़ रुपये ब्याज समेत निवेशकों को लौटा दिए। इसके बावजूद बचा हुआ पैसा आज भी 23075.8 करोड़ रुपये एस्क्रो एकाउंट में सेबी के पास है। इसी पैसे के लिए सहारा इंडिया सेबी के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। सहारा इंडिया का दावा है कि संस्था में सम्मानित निवेशकों का पैसा हैं वो 100% लौटेगा, जिसके लिए विलंब भुगतान के लिए सम्मानित जमाकर्ता को क्षति पूर्ति के रूप में भुगतान तिथि तक लाभांश दे रहीं है।
इस मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी लोकसभा में कहा था कि 30 नवंबर तक सहारा समूह की कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन एवं सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन और उनके प्रवर्तकों एवं निदेशकों ने 15, 485.80 करोड़ रुपये जमा कराए हैं, जबकि उसे 25,781.37 करोड़ रुपये का मूलधन लौटाना था।

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