भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने जारी किया चुनावी घोषणा पत्र 

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सुभाष चंद्र कुमार

पटना भाकपा-माले ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय, धीरेन्द्र झा, मंजू प्रकाश, शशि यादव, महबूब आलम व गोपाल रविदास ने इसे जारी किया। मौके पर माले महासचिव ने कहा कि भाकपा-माले जनता की आवाज को संसद के अंदर बुलंद करेगी. हमें विश्वास है कि भाकपा-माले और इंडिया गठबंधन जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा.
घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु:- चुनावों का लोकतांत्रीकरण, बैलेट से चुनाव की मांग, सर्वोच्च न्यायालय की अनुशंसा के अनुसार मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री व नेता प्रतिपक्ष की सेलेक्शन कमिटी मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों की पारदर्शी नियुक्ति करे, राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च सीमा निर्धारित हो, जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार हो, दलबदल पर सदस्यता स्वतः समाप्त कर दी जाए।
देश के संघीय ढांचे को मजबूत बनाना, राज्यपाल के पद की समाप्ति, क्षेत्रीय असामनता दूर करने के लिए पिछड़े राज्यों को विशेष सहायता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का खात्मा, शिक्षा पर बजट का 10 प्रतिशत खर्चा, मातृभाषा में निःशुल्क शिक्षा, निजी संस्थानों में आरक्षण, जेंडर सेन्सिटाइजेशन, मिड डे मील का बजट बढ़ाना,शिक्षण संस्थानों में जातीय भेदभाव का खात्मा।
एमएसपी की गारंटी, सभी कर्जों की माफी, कृषि कार्य हेतु सस्ती दरों पर खाद व बीज की उपलब्धता, बटाईदार किसानों को कानूनी मान्यता, पंजीकरण।
जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली और पुदुच्चेरि को पूर्ण राज्य का दर्जा, लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना, कार्बी आंग्लांग को स्वायत्त राज्य का दर्जा।
संप्रभु, लोकतांत्रिक और मानवतावादी विदेश नीति। सभी नागरिकों को रोजगार, पोषण, स्वास्थ्य व रहने का मौलिक अधिकार, भेदभावकारी सीएए-एनआरसी-एनपीआर रद्द किया जाए, समान नागरिक संहिता को पूरी तरह रद्द किया जाए, आधार को खारिज किया जाए, जनकल्याण की सभी योजनाओं को सार्वभौमिक बनाया जाए, जाति व धर्म, सेक्सुअल ओरिएन्टेशन, जेंडर आइडेंटिटी, विकलांगता के आधार पर भेदभाव को खत्म किया जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में आरक्षित रिक्तियों समेत सभी पदों पर तत्काल नियुक्ति, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता, निजी क्षेत्र में शिक्षा व रोजगार का वादा, अग्निपथ योजना का खात्मा।
राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी की दर 35000 रु. प्रति माह, मजदूर विरोधी चार श्रम कोड रद्द किया जाए, पुरानी पेंशन योजना की पुनर्बहाली, असंगठित व अनियमित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा लाभ, महंगाई भत्ता के साथ 10000 रु. न्यूनतम मासिक पेंशन की गारंटी।
ठेका मजदूरों का नियमितीकरण, कार्यस्थल पर महिलाओं से भेदभाव की नीतियों का खात्मा। भूमिहीनों को सीलिंग, भूदान, धार्मिक मठों एवं परती भूमि का वितरण. सभी को आवासीय भूमि की गारंटी।
मनरेगा में 200 दिन काम व न्यूनतम 600 रु. मजदूरी।
शहरी रोजगार गारंटी योजना, नागरिक सुविधाओं की गारंटी।
राष्ट्रीय स्तर पर जाति गणना व आरक्षण का विस्तार।
सच्चर कमिटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशेां को लागू करना
मजबूत जनस्वास्थ्य व्यवस्था, पर्यावरण सुरक्षा व क्लाइमेट जस्टिस, जनपक्षीय आर्थिक नीतियों पर जोर
जीएसटी की वापसी, काॅरपोरेटों से एनपीए की वसूली, काॅरपोरेटों पर टैक्स दरों में वृद्धि
जंगलों, तटीय इलाको एवं परंपरागत फिशिंग जोनों का निजीकरण व व्यवस्यीकरण पर रोक। आरटीआई कानून को सुद्ढ़ करना, मानवाधिकारों के उल्लंघन परर रोक, यूएपीए और एएफएसपीए और नए तीनों क्रिमिनल कोड समेत सभी दमनकारी कानूनों की वापसी, सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई।
जाताीय एवं सांप्रदायिक जनसंहारों और हिरासत मं हत्या के लिए एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन।
महिला, ट्रांसजेंडर समुदायों के अधिकारों की गारंटी।

भाकपा-माले दस सालों के मोदी राज में भारत के संसदीय लोकतंत्र पर निर्लज्ज हमले के खिलाफ भारत के भविष्य बनाने की जंग में अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल करने और तानाशाही को हरा कर लोकतंत्र को विजयी बनाने का आह्वान करती है.

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