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सीपीआईएम ने राष्ट्रपति से की मुख्य न्यायाधीश मित्थल को पद से हटाने की मांग

न्यायाधीश मित्थल को पद से हटाने की मांग
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नई दिल्ली| भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल को हटाने की मांग की है। इस मसले पर पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति को एक पत्र भी लिखा है। सीपीआईएम पोलित ब्यूरो का आरोप है कि मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए कहा है कि प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी को शामिल करने से भारत की आध्यात्मिक छवि संकुचित होती है।

इस मसले पर सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने गुरुवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा, मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ एक बहुत ही गंभीर शिकायत आपके संज्ञान में लाने के लिए लिख रहा हूं। मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल, जिन्होंने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है और उनके द्वारा आयोजित संवैधानिक कार्यालय से समझौता किया है।

उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाया कि न्यायाधीश ने बीते 5 दिसंबर 2021 को जम्मू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। ये भारत के संविधान के खिलाफ है। ये सार्वजनिक है कि मित्थल ने अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित किया और कहा कि संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्दों को शामिल करने से भारत की आध्यात्मिक छवि संकुचित हो गई थी।

येचुरी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा देश के संविधान के खिलाफ इस तरह का बयान। वह भी एक मंच से जो एक विशेष विचारधारा का प्रचार करता है। एक अक्षम्य अपराध है, जो उनके (मुख्य न्यायाधीश) द्वारा अपने संवैधानिक कार्यों को करने के लिए ली गई शपथ का उल्लंघन है।

येचुरी ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाते हुए कहा, मित्थल का आचरण संविधान के अनुसार अशोभनीय है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि संविधान की पवित्रता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया को तुरंत गति प्रदान करें।