देश की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता गौ धन

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ऋषि तिवारी
नई दिल्ली। गौ वंश देश की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। ‘राष्ट्रीय गौधन महासंघ’ के संयोजक विजय खुराना द्वारा संकलित एवं प्रकाशित पुस्तक “गौ एवं गौवंश की संवैधानिक कानूनी स्थिति” इस बारे में विस्तृत प्रकाश डालती है। इस पुस्तक का विमोचन एवं आत्म-निर्भर गौशालाओं पर चर्चा का आयोजन विश्व युवक केंद्र, पंडित उमा शंकर दीक्षित मार्ग, तीन मूर्ति मार्ग, पर किया गया। इसका विमोचन विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार के कर कमलों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व राज्यपाल असम एवं पूर्व उप-राज्यपाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के प्रो जगदीश मुखी थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस शम्भूनाथ श्रीवास्तव मुख्य वक्ता थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संतोष तनेजा ने की।

इस अवसर पर गौकाष्ठ बिक्रेटिंग मशीन का लाइव डिस्प्ले भी किया गया। राष्ट्रीय गौधन महासंघ द्वारा देश में गौधन को बढ़ावा देने के लिए गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन पूर्व में मुफ्त में देने का निर्णय लिया था।राष्ट्रीय गौधन महासंघ के संयोजक श्री विजय खुराना का कहना है कि गाय इस देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। महासंघ देश में 22 हजार गौशालाएं संचालित कर रहा है। हमारी कोशिश है कि हर गौशाला आत्मनिर्भर बने। हमारी कुछ गौशालाओं आत्मनिर्भर हैं। उनके गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है। गौशालाओं ने 20 हजार टन लकड़ी बेची है जिसे लोग होलिका दहन, शमशान, लोहड़ी आदि पर खरीद कर ले जाते हैं।

यह मशीन 70 हजार की है जिसमें केंद्र सरकार 60 फीसद और राज्य सरकार 40 फीसद अंशदान देती है। हमारा मानना है कि यदि गाय रोजगार से जुड़ेगी तो लोग इसे पालेंगे और देश का विकास होगा। इससे पांच करोड़ वृक्ष प्रतिवर्ष कटने से बच सकेंगे। उन्होंनें बताया कि राष्ट्रीय गौधन महासंघ के 17 वर्षों के कालखंड में गौशालाएं 9500 से 21000 हुई हैं। पूरे देश में इनकी संख्या 2006 में 9 करोड़ थी लेकिन 2022 में यह बढ़कर 21 करोड़ हो गई है।

हमें गाय के महत्व को समझना होगा। सतयुग से लेकर आदि अनादि काल से संसार में गाय का सर्वाधिक महत्त्व है समुद्र मंथन से जब दिव्य तेजोमय शक्तियों का प्रदुर्भाव हुआ तो उन महत्वपूर्ण पदार्थो शक्तियों में गाय भी प्राप्त हुई जिसकी शक्ति उस समय अपरिमित थी वह सभी प्रकार के पदार्थों से युक्त थी वह एक ही बार में अनेक लोगों का पालन कर सकती थी, भोजन दे सकती थी परंतु सबसे महत्वपूर्ण यह हैं की गाय से प्राप्त सभी वस्तु देव मनुष्य दानव सबको ग्राह्य हैं। महाभारत का वाक्य है पंचगव्य प्राशन सर्व पाप नशान अर्थात गाय द्वारा प्रदत्त दुग्ध दही घृत गोमूत्र गोबर सभी विशेष मात्रा में मिलाकर लेने से अनेकों जन्मों से एकत्र अस्थियों में जमा पाप भी नष्ट करने की शक्ति पंचगव्य में हैं। यह आज भी प्रमाणित है।

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