चरण सिंह
सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने विधानसभा चुनाव में सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। इनसे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजीव राय भी अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने की बात करते रहे हैं। यदि कांग्रेस यूपी में अपने दम पर चुनाव लड़ ली तो 2027 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के लिए दिक्क्तें पैदा होने वाली हैं।
दरअसल लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी आने वाली विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने का दावा कर रही है। पार्टी मुखिया अखिलेश यादव पीडीए पर इतरा रहे हैं। सोते जागते वह पीडीए रटते रहते हैं। अखिलेश यादव को यह समझना होगा कि उत्तर प्रदेश में उभर रहे नए राजनीतिक समीकरण सपा का गणित बिगाड़ सकते हैं। एक और साक्षी महाराज सपा को एनडीए में लाने की बात कर रहे हैं दूसरी ओर कांग्रेस यूपी में अपने दम पर चुनाव लड़ने जा रही है। ऐसे में सपा के वोटबैंक में कन्फ्यूजन हो सकता है।
अखिलेश यादव को यह समझना होगा कि लोकसभा चुनाव में सपा को 37 सीटें मिलने के कई कारण थे। एक तो आरक्षण और संविधान के खत्म होने की आशंका दलित समाज में बैठ गई थी। दूसरे मुस्लिमों में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के प्रति बड़े रुझान का फायदा सपा को मिला था। यदि यूपी में कांग्रेस अलग चुनाव लड़ ली तो सपा के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।
अखिलेश यादव को यह भी समझना होगा कि उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी होने के बावजूद सपा ने योगी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया है। पीडीए में भी पिछड़े, दलित या फिर अल्पसंख्यकों के हक़ के लिए भी कुछ खास नहीं किया है। पार्टी में स्थापित नेताओं में से कुछ को दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों को टिकट देने के पिछड़ों की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है।
कांग्रेस के अलग से चुनाव लड़ने की अटकले विधानसभा उप चुनाव से लगाई जाने लगी थी। जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी तो कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में नहीं दी। दिल्ली में भी कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ी। जब लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद आप ने दिल्ली में अपने दम पर चुनाव लड़ने की बात की तो कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ना बनता था। ऐसे में अखिलेश यादव ने आप के लिए प्रचार कर कांग्रेस की नाराजगी मोल ली थी। उत्तर प्रदेश में एक ओर बीजेपी अपने सहयोगियों रालोद, अपना दल, निषाद पार्टी के साथ चुनाव लड़ेगी तो दूसरी ओर बीएसपी लड़ेगी साथ ही आजाद समाज पार्टी, ओमप्रकाश राजभर और असदुद्दीन ओवैसी भी सपा के सामने ताल ठोकेंगे। ऐसे में समाजवादी पार्टी अलग थलग पड़ सकती है। जिसका फ़ायद बीजेपी को होगा।