पुष्पा सिंह
हम भारतीय लोगों के भीतर जो स्वार्थी प्रवृत्ति है और वह भी देश की राजधानी दिल्ली में। वह हितकर कभी नहीं रहा है। केजरीवाल जैसे व्यक्ति को समर्थन देकर अपना मुख्यमंत्री बना देना बहुत ही आसान। लेकिन देश के भविष्य के संदर्भ में नहीं सोचना हमारी आदत सी बन गयी है। जो स्वाति मालीवाल दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हैं,और राज्य सभा सांसद भी हैं उनकी जो दशा मुख्यमंत्री आवास के बैठक में कई गयी है उसके सौ प्रतिशत जिम्मेदार वर्तमान मुख्यमंत्री ही हैं। विभव उनका पीए है। वह क्यों बिना केजरीवाल के ऐसा कदम उठाएगा। उसके घर में भी बहन बेटी पत्नी होगी?यह एक बोलता हुआ प्रश्न उद्वेलित करता है।
ऐसा किसी भी महिला के साथ देश में कभी भी नहीं हुआ होगा।ऐसे लोगों के राज्य में सामान्य महिलाओं को कैसे सुरक्षित समझा जा सकता है।ऐसी किसी भी सरकार को राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त करना चाहिए जिस राज्य में महिला आयोग की अध्यक्ष को ही बुरी तरह से पीटकर बेईज्जत किया जाए।यह सोचने में कितना वीभत्स है।रुह कांप जाती है।और जिसके साथ हुआ है उसका कितना बुरा हाल होगा। तीन दिन तक सदमे में रहीं हैं स्वाति मालिवाल।और अब अगर एफआईआर दर्ज हो गया है तो तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। दोनों लोगों को क्योंकि यह संभव ही नहीं है कि बिना केजरीवाल के एकल विभव ने यह सब किया होगा। अवश्य ही आज भी लोभी महिलाओं को नेताओं डरा-धमका कर नाम नहीं लेने के लिए विवश किया जाता है।
एक साहित्यकार होने के नाते ऐसे कुत्सित मानसिकता वाले मुख्यमंत्री और उनके पीए को अविलंब अरेस्ट करना चाहिए।
लेकिन हमारे देश में कोई भी राम राज्य नहीं है।बस कहने भर को सिगूफा भर है। महिलाओं को स्वयं ही दुर्गा, काली बन कर स्वयं के शक्ति से ऐसे लोगों को पराजित कर देना चाहिए और सबक सिखाना चाहिए। हमारे भीतर अपार संभावनाएं और ऊर्जा है।जिसको हमें ऐसे पुरुषों के विकास के लिए खर्च करते हुए इनका गुलाम नहीं बनना चाहिए।
स्वाति मालिवाल को पूरी सच्चाई के साथ दोनों के विषय में जानकारी देनी चाहिए। लेकिन शायद ऐसा वो नहीं कर पा रहीं होंगी। भारत की सभी महिलाएं उनके साथ हैं। उन्हें निडरता पूर्वक हमलावर मुजरिमों को कानून के हवाले करना चाहिए।
भारत जैसे देश में अगर ऐसा हाल हाई प्रोफाइल महिलाओं का होता है तो यह बहुत ही ज्यादा शर्मनाक है। अपने घर में बुला कर ऐसा हमला करने का यह पहला प्रकरण मेरे संज्ञान में आया है।जो हमारे देश की गरिमा को मिट्टी में मिलता है। ऐसे मुख्यमंत्री की जगह जेल में होनी चाहिए।
इस घटना का संज्ञान माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी लेना चाहिए और पैरोल रद्द करते हुए ऐसे घातक मुख्यमंत्री को अरेस्ट करना चाहिए।
ऐसे लोग मानव होकर भी मानवीय मूल्यों का दोहन करते हुए तैमूरी व्यवहार करते हुए घर बुला कर पीटते हैं। ये कैसा है हमारा भारत क्या यही शहीदों की सोच रही थी? वैसे तो शहीद-ए-आजम भगत सिंह की फोटो लगाकर अपने दफ्तर में बैठने वाला मुख्य मंत्री इस वादे के साथ मुख्यमंत्री बने कि राज्य की महिलाओं की सुरक्षा की जगह पर उनकी महिला मुखिया के साथ आतंकी व्यवहार करेंगे ?
हमारे देश के पुरुषों के लिए भी बहुत ही चिंताजनक स्थिति है कि क्या राजनीति परिवार में ऐसा करना न्यायसंगत है।उस घर में मुख्यमंत्री की पत्नी भी होंगी। ऐसी घटनाएं कभी माफ नहीं होनी चाहिए। सभी साहित्यिक महिलाओं के भीतर बहुत ही दुःख है और आक्रोश भी है। देश की कानून व्यवस्था पर पूरा विश्वास है कि वह सख्त कार्यवाही करते हुए उन्हें सजा दें।
ऐसा किसी भी महिला के साथ देश में कभी भी नहीं हुआ होगा।ऐसे लोगों के राज्य में सामान्य महिलाओं को कैसे सुरक्षित समझा जा सकता है।ऐसी किसी भी सरकार को राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त करना चाहिए जिस राज्य में महिला आयोग की अध्यक्ष को ही बुरी तरह से पीटकर बेईज्जत किया जाए।यह सोचने में कितना वीभत्स है।रुह कांप जाती है।और जिसके साथ हुआ है उसका कितना बुरा हाल होगा। तीन दिन तक सदमे में रहीं हैं स्वाति मालिवाल।और अब अगर एफआईआर दर्ज हो गया है तो तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। दोनों लोगों को क्योंकि यह संभव ही नहीं है कि बिना केजरीवाल के एकल विभव ने यह सब किया होगा। अवश्य ही आज भी लोभी महिलाओं को नेताओं डरा-धमका कर नाम नहीं लेने के लिए विवश किया जाता है।
एक साहित्यकार होने के नाते ऐसे कुत्सित मानसिकता वाले मुख्यमंत्री और उनके पीए को अविलंब अरेस्ट करना चाहिए।
लेकिन हमारे देश में कोई भी राम राज्य नहीं है।बस कहने भर को सिगूफा भर है। महिलाओं को स्वयं ही दुर्गा, काली बन कर स्वयं के शक्ति से ऐसे लोगों को पराजित कर देना चाहिए और सबक सिखाना चाहिए। हमारे भीतर अपार संभावनाएं और ऊर्जा है।जिसको हमें ऐसे पुरुषों के विकास के लिए खर्च करते हुए इनका गुलाम नहीं बनना चाहिए।
स्वाति मालिवाल को पूरी सच्चाई के साथ दोनों के विषय में जानकारी देनी चाहिए। लेकिन शायद ऐसा वो नहीं कर पा रहीं होंगी। भारत की सभी महिलाएं उनके साथ हैं। उन्हें निडरता पूर्वक हमलावर मुजरिमों को कानून के हवाले करना चाहिए।
भारत जैसे देश में अगर ऐसा हाल हाई प्रोफाइल महिलाओं का होता है तो यह बहुत ही ज्यादा शर्मनाक है। अपने घर में बुला कर ऐसा हमला करने का यह पहला प्रकरण मेरे संज्ञान में आया है।जो हमारे देश की गरिमा को मिट्टी में मिलता है। ऐसे मुख्यमंत्री की जगह जेल में होनी चाहिए।
इस घटना का संज्ञान माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी लेना चाहिए और पैरोल रद्द करते हुए ऐसे घातक मुख्यमंत्री को अरेस्ट करना चाहिए।
ऐसे लोग मानव होकर भी मानवीय मूल्यों का दोहन करते हुए तैमूरी व्यवहार करते हुए घर बुला कर पीटते हैं। ये कैसा है हमारा भारत क्या यही शहीदों की सोच रही थी? वैसे तो शहीद-ए-आजम भगत सिंह की फोटो लगाकर अपने दफ्तर में बैठने वाला मुख्य मंत्री इस वादे के साथ मुख्यमंत्री बने कि राज्य की महिलाओं की सुरक्षा की जगह पर उनकी महिला मुखिया के साथ आतंकी व्यवहार करेंगे ?
हमारे देश के पुरुषों के लिए भी बहुत ही चिंताजनक स्थिति है कि क्या राजनीति परिवार में ऐसा करना न्यायसंगत है।उस घर में मुख्यमंत्री की पत्नी भी होंगी। ऐसी घटनाएं कभी माफ नहीं होनी चाहिए। सभी साहित्यिक महिलाओं के भीतर बहुत ही दुःख है और आक्रोश भी है। देश की कानून व्यवस्था पर पूरा विश्वास है कि वह सख्त कार्यवाही करते हुए उन्हें सजा दें।
(डा.पुष्पा सिंह विसेन
वरिष्ठ साहित्यकार
एवं नारायणी साहित्य अकादमी की अध्यक्ष हैं)