नई दिल्ली, पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश (सीजेपी) गुलजार अहमद ने शुक्रवार को सैन्य भूमि के व्यावसायिक उपयोग को लेकर रक्षा सचिव से तीखे सवाल पूछे। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई ने पूछा कि क्या सिनेमाघर और मैरिड हॉल जैसी संरचनाएं रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई थीं।
यह कहते हुए कि कर्नल और मेजर किसी राजा (किंग) की तरह काम कर रहे हैं, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कर्नल और मेजर जो चाहते हैं, वही होता है।”
न्यायमूर्ति काजी मोहम्मद अमीन अहमद और न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ सुप्रीम कोर्ट की कराची रजिस्ट्री में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए सैन्य भूमि का उपयोग करने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
अहमद ने रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मियां मोहम्मद हिलाल हुसैन से सैन्य भूमि पर की जा रही गतिविधियों के बारे में पूछताछ की।
उन्होंने कहा, “यह जमीन आपको रणनीतिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए दी गई थी, आपने इस पर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दी हैं।”
रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति अहमद ने पूछा, “क्या वेडिंग हॉल, सिनेमा और हाउसिंग सोसाइटी रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई थीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि सभी अस्करी आवास परियोजनाएं छावनी भूमि पर बनाई गई हैं।
रक्षा सचिव ने कहा, “हमने तय किया है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।” उन्होंने कहा कि हाउसिंग सोसाइटियों के निर्माण और सैन्य भूमि के व्यावसायिक उपयोग की जांच की जाएगी और इसे रोका जाएगा।
इस पर न्यायमूर्ति अमीन ने हुसैन से पूछा कि यह कैसे संभव होगा और प्रक्रिया कहां से शुरू होगी। न्यायाधीश ने उनसे लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा।
अहमद ने निर्देश दिया, “जाओ और सभी प्रमुखों (सशस्त्र बलों के) से कहो कि रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाई गई भूमि का व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा। सभी सैन्य छावनियों में जाएं और उन्हें बताएं कि भूमि का उपयोग केवल रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि मसरूर बेस और फैसल बेस पर व्यावसायिक गतिविधियां चल रही थीं और साइनबोर्ड हटाने के आदेश दिए जाने पर वहां ऊंची इमारतें खड़ी कर दी गई थीं।