राजगीर। चेन्नई निवासी स्नेहलता सुराणा राजगीर के वीरायतन में आज जैन दीक्षा लेगीं। वह पद्मश्री आचार्य चंदनाजी महाराज की 15 वीं शिष्या बनेगी। दो बेटे और एक बेटी की मां 65 वर्षीया स्नेहलता सुराणा जैनोलाॅजी में स्नातकोत्तर हैं। उनकी दीक्षा कार्यक्रम की सभी आवश्यक तैयारियां वीरायतन में पूरी कर ली गई है।
शुक्रवार को आचार्य चंदनाजी से दीक्षा लेने के बाद वह गृहस्थ जीवन से सन्यास जीवन में प्रवेश करेंगी। तब वह सांसारिक सुख सुविधाओं को छोड़कर आजीवन साध्वी जीवन व्यतीत करने का संकल्प लेंगी। उनके बाल काट लिये जायेंगे। वस्त्र भी अन्य साध्वियों का तरह सफेद हो जायेंगे। इस दीक्षा समारोह में उनके बेटे- दामाद, बेटी – बहु और पोते -नाती सहित परिवार के 175 परिजन चेन्नई एवं अन्य जगहों से राजगीर आये हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन को सार्थक करने का सच्चा मार्ग सन्यास है। इससे अच्छा कोई दूसरा मार्ग नहीं है। कपड़े के थोक व्यवसायी उनके पति की मृत्यु कोरोना काल में हो गई है। उनके दो बेटे विशाल सुराणा और विकास सुराणा हैं। विशाल सुराणा माॅल के प्रोपराइटर हैं और छोटे बेटे विद्यासागर एजुकेशन इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष हैं। बेटी वंदना सुराणा अपने ससुराल में परिवार के साथ रहती हैं। सुराणा कहती हैं कि दीक्षा लेने के बाद वह ताई महाराज पद्मश्री आचार्य चंदन जी महाराज की आज्ञा अनुसार वह धर्म और समाज की सेवा करेंगी। वह 15 वर्षों तक राजस्थान में जैन मुनि गुणचंद्र जी महाराज के सानिध्य में रहकर जैन धर्म की सेवा की है। जैन धर्म के बारे में जानकारी हासिल की है। स्नेहलता सुराणा के परिवार के पहले सदस्य हैं जिनके द्वारा जैन धर्म में दीक्षा ली जा रही है। उनके ससुर चेनमल जी सुराणा का वीरायतन से पुराना लगाव है।