नीरज कुमार
आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती है। चौधरी चरण सिंह की जयंती किसान दिवस के रूप में मनाते हैं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि लोग शहर में जाकर गांव को भूलते जा रहे हैं। कहना गलत न होगा कि शहर गाँव का वो बेटा है जिसने अपनी मरती हुई माँ की खोज-खबर नहीं ली | शहर में रहने के बाद हम गाँव, खेती या किसानी को उनके दुःख को भूल जाते हैं, जबकि हमारा अस्तित्व हमारा जड़ गाँव में ही हैं | उन्ही किसानों, मजदूरों के मेहनत कि वजह से हम शान की जिन्दगी जी रहे हैं |
खेती-बाड़ी प्राचीन काल से चलती आ रही है | कोई जानता भी है कि चावल का एक दाना तैयार होने में कितना समय लगता हैं ? पूरे 120 दिन | 120 दिन तक जब किसान का पसीना उस धान के खेत के मिट्टी में बूंद-बूंद मिलता है जब जाकर अन्न पैदा होता हैं | और आप जानते हैं हमारे देश में खाना बर्बाद नहीं किया जाता | अगर वही देश किसानों को बर्बाद होते देखता रहे फिर किसान किसके पास जायेंगे ? खाना खिलाने वाले से कहा जाता हैं ‘अन्नदाता सुखी भवतु’ | ये अन्नदाता हैं कौन ? खाना पकानेवाला या परोसने वाला नहीं है, अन्न उगाने वाला है | खेती जैसा उपहार हमें प्रकृति से मिला है |
मोबाइल या फ़ोन के बिना हम जिंदा रह सकते हैं, टीवी या AC के बिना हम जिंदा रह सकते हैं लेकिन खाने के बिना हम जिंदा नहीं रह सकते | जो टीवी, मोबाइल या AC बनाते हैं वो करोड़पति है लेकिन अन्न उगाने वाला वो गरीब किसान इतनी कड़ी मेहनत और धुप में पसीना बहाने के बाद भी दिन पर दिन गरीब होता जा रहा हैं | लाखों किसान आत्महत्या कर चूका हैं और यह संख्या दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है | जहां मौत इतनी सस्ती हो वो देश कभी विकास नहीं कर सकता | लाखों कि संख्या में किसान खेती छोड़ शहर जा रहे हैं | जो किसान हमारे देश के रीढ़ का हड्डी है वो आज बड़े-बड़े मकानों में चौकीदारी का काम करने को मजबूर हैं | जो किसान अन्नदाता कहलाता हैं वही मंदिरों के सामने भीख मांगता फिर रहा हैं | कार्पोरेटर हजारों करोड़ों का उधार लेकर विदेश भाग जाता हैं और वहां बैठकर विदेशी शराब पीता हैं वहीं 5 या 10 हजार कर्ज लेने वाला किसान आत्म हत्या कर रहा हैं |