चंद्रशेखर आजाद को भारी पड़ सकता है दुष्यंत चौटाला से हाथ मिलाना!

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 चरण सिंह

नगीना से सांसद बनने के बाद आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद का आत्मविश्वास आसमान पर है। वह सड़क से लेकर संसद तक विभिन्न मुद्दों को लेकर मुखर हैं। इस बीच जहां सरकार की कमियों को गिनाते हुए उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को घेरा है वहीं आजम खां के साथ नाइंसाफी का मुद्दा उठाकर सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी कटघरे में खड़ा कर दिया। एक ओर जहां वह दलितों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर किसान, मजदूरों की समस्या उठाने के साथ ही दूसरे जमीनी मुद्दे उठा रहे हैं। ऐसे में एक ओर जहां वह बसपा मुखिया मायावती के लिए खतरा बनते जा रहे हैं वहीं अखिलेश यादव को भी उनसे असुरक्षा होने लगी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद सभी १० सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।चंद्रशेखरआजाद ने जिस तरह से किसान आंदोलन के साथ ही पहलवानों के आंदोलन को भी समर्थन दिया और जिस तरह से वह संसद में विनेश फोगाट के ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में ओवर वेट के नाम पर डिसक्वालीफाई होने पर संसद में नाराजगी दिखाई उससे उनका कद काफी बढ़ गया है। इन सबके बीच चंद्रशेखर आजाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में जो जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला से हाथ मिलाने जा रहे हैं उससे उनकी छवि धूमिल हो सकती है। क्योंकि दुष्यंत चौटाला न तो किसान आंदोलन में कहीं दिखाई दिये और न ही पहलवानों के आंदोलन में।उल्टे उनके पिता अजय चौटाला ने किसान आंदोलन पर गलत टिप्पणी कर थी। ऐसे में यदि चंद्रशेखर आजाद हरियाणा में दुष्यंत चौटाला से हाथ मिलाते हैं तो कांग्रेस के साथ ही उन्हें किसान नेताओं और पहलवानों की नाराजगी झेलनी पड़ सकतीहै। क्योंकि दुष्यंत चौटाला को न तो हरियाणा के जाट पसंद कर रहे हैं औेर न ही किसान। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद पर यह आरोप लग सकता है कि वह सत्ता के लिए किसान विरोधी नेताओं से भी हाथ मिला रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि  क्योंकि जब किसान और पहलवान आंदोलन कर रहे थे तब दुष्यंत चौटाला सत्ता की मलाई चाट रहेथे।

यदि चंद्रशेखर आजाद को हरियाणा में चुनाव लड़ना ही तो उन्हें उत्तर प्रदेश उप चुनाव की तरह हरियाणा विधानसभा चुनाव भी अपने दम पर लड़ना चाहिए। दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ा प्रश्न यह है कि कि यदि वह किसानों और जाटों के इतने ही हितैषी थे तो फिर किसान आंदोलन में उनको किसानों की पीड़ा क्यों नहीं दिखाई दी। बीजेपी सांसद और तत्कालीन कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह वैसे भी दुष्यंत चौटाला के बारे में कहा जा रहा है कि बीजेपी ने ही उन्हें चुनाव लड़ने के लिए भेजा है। बीजेपी चाहती है कि दुष्यंत चौटाला जाट किसानों के वोट बटोर कर कुछ सीटें ले आए और फिर से जेजेपी के सहयोग से हरियाणा में सरकार बना ली जाए पर इस बार जाट उनसे बहुत नाराज हैं। उनके विधायक कांग्रेस में शामिल होरहे हैं। इंडिया गठबंधन उन्हें अपने साथ लेने को तैयारनहीं। ऐसे में यदि चंद्रशेखर आजाद दुष्यंत चौटाला से हाथ मिलाते हैं तो उनके लड़ाके की छवि पर असर पड़ना तय है।

वैसे भी बसपा हरियाणा में इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। इनेलो के नेता अभय चौटाला और जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला वैसे तो चाचा भतीजे हैं पर राजनीति में इन दोनों नेताओं में 36 का आंकड़ा है। यदि चंद्रशेखर आज़ाद और दुष्यंत चौटाला मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो फिर मायावती और अभय चौटाला दोनों ही नेता किसानों और पहलवानों के मामले में चंद्रशेखर आज़ाद पर हमला बोलेंगे।

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