जस्टिस शाह ने कॉलेजियम सिस्टम में पक्षपात का आरोप लगाया है, कहा कि सरकार सिस्टम में अपने लोगों को घुसा रही है
ज्यूडिशियल अपाइटमेंट एंड रिफॉर्म्स विषय पर आयोजित सेमिनार में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजीत प्रकाश शाह ने केंद्र सरकार पर तीखी टिप्पणी की है और कहा कि सरकार ने कॉलेजियम सिस्टम में घुसपैठ कर ली है और अपनी विचारधारा के लोगों को नियुक्त करा रहे हैं। कैंपेन फॉर ज्यूडिशल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफार्म्स द्वारा आयोजित सेमिनार में जस्टिस शाह ने कहा कि साल १९९३ से पहले जजों की नियुक्ति, तबादले और दूसरी तमाम चीजें कार्यपालिका के हाथ में थीं। फिर कॉलेजियम सिस्टम आया। कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां हंै। इस बात से कोई इनकार नहीं किया कर सकता है कि एक डेमोक्रेटिक मेकअप में जज ही जजों की नियुक्ति कर रहे हैं, यह कतई पारदर्शी नहीं हैं।
लॉ कमीशन के चेयरमैन रहे जस्टिस अजीत प्रकाश शाह ने कहा कि मैं अपने अनुभव से बता सकता हूं कि सिलेक्शन की जांच के प्रॉपर समय ही नहीं मिलता है। न तो उनके काम की जांच हो पाती है न दूसरे चीजों की। विक्टोरिया गौरी केस इसका हालिया सबसे बड़ा उदाहरणहै। उन्होंने तमाम हेट स्पीच दी, मैंने खुद उनके वीडियो देखे और दंग रह गया।
कॉलेजियम में भी पक्षपात
जस्टिस शाह ने कहा कि कॉलिेजयम सिस्टम के साथ समस्या यह है कि वहांं बहुत ऊंचे स्तर का पक्षपात है और लंबे समय से ही चलता आ रहा है। बस फर्क यह है िैक चीज वही हो रही हैं। बस लोग बदल गये हंै। एक तरीके से कह सकते हैं कि कॉलेजियम सिस्टम में जो लोग हैं वह अपने ही तरह के और लोगों को नियुक्त कर रहे हैं।
केंद्र की कॉलेजियम में घुसपैठ
जस्टिस शाह ने कहा कि इस सरकार ने कॉलेजियम सिस्टम में घुसपैठ कर ली है। मैं इस बात से कतई असहमत हूं कि कानून मंत्री को कॉलेजियम डिस्कशन का हिस्सा होना चाहिए। जिस तरीके से आज चीजें हो रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत खतरनाक होगा। जस्टिस शाह ने कहा कि अब केंद्र सरकार की ओर से जो नाम आ रहे हैं वे न सिर्फ कुछ खास लोगों के पक्ष में हंै बल्कि ऐसे लोगों के हैं, जो उनकी विचारधारा के करीब हैं।
जो केंद्र के पक्ष में फैसला दे रहे, उन्हें मिल रहा ईनाम
जस्टिस अजीत प्रकाश शाह ने कहा कि सीधा-सीधा मतलब यह है कि जो लोग उनके पक्ष में फैसला दे रहे हैं उन्हें सम्मानित किया जा रहा है। इसका असर यह हुआ है कि तमाम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डरने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सराकर कहती है कि उन्हें नए सिस्टम की आवश्कयता है नहीं है और जो सिस्टम ह उससे खुश है। क्योंकि मौजूदा सिस्टम को प्रभावित करते हैं।