खुद झोपड़े में..भगवान के लिए खड़ा कर दिया 16 मंजिला मंदिर

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 खर्च कर दिए 51 लाख,  बिहार के समस्तीपुर की बात

दीपक कुमार तिवारी

पटना/समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर में एक शिव भक्त की खूब चर्चा हो रही है। यह कोई राजा-महराजा या फिर कोई बड़ा बिजनसमैन नहीं है बल्कि एक मजदूर है। जिन्होंने अपने जीवन की गाढ़ी कमाई मंदिर बनाने में लगा दी। शिव भक्त शिवशंकर महतो समस्तीपुर के रोसड़ा के रहने वाले हैं।इनका दावा है कि अपनी मेहनत की कमाई 51 लाख रुपये से शिव मंदिर बनवा रहे हैं। जब मंदिर निर्माण का कार्य पूरा नहीं हुआ तो अब सुबह से शाम तक चंदा मांगते हैं और जो मिलता है उसे वे मंदिर निर्माण में लगा देते हैं।

शिवशंकर महतो ने दावा किया है कि उन्होंने 101 फीट ऊंची 16 मंजिला इस मंदिर के ढांचे के निर्माण में करीब 51 लाख रुपये खर्च कर दिए। 2012 तक अपने पैसे से निर्माण कार्य चलता रहा और जब खुद का पैसा समाप्त हो गया तो अब चन्दा इकट्ठा कर मंदिर में लगाता हूं।शिवशंकर महतो का काम अब पूजा करना और मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करना है।
शिव भक्त का दावा है कि सपने में भगवान शिव और मां पार्वती ने दर्शन दिया और उसके बाद से उनका जीवन ही बदल गया। गुड़गांव में मजदूरी करने के बाद सैंटरिंग कॉनट्रेक्टर बन गये। उसके बाद अपना काम धंधा छोड़ वह साल 2007 में अपने गांव लौटे और यहां इस शिव मंदिर का निर्माण शुरू किया।
शिव भक्त शिव शंकर महतो ने समस्तीपुर के लालपुर गांव में एक दो नहीं 16 मंजिला भगवान भोलेनाथ का भव्य मंदिर बना दिया। शिवशंकर महतो बताते हैं कि अपने गांव में इस मंदिर का निर्माण कार्य 2007 से शुरू किया और फिर 2012 में इस मंदिर में भगवान की प्रतिमा स्थापित कराई। फिलहाल इस मंदिर में शिव, पार्वती, हनुमान, कार्तिक, गणेश और काल भैरव की पूजा हो रही है।
शिव शंकर महतो ने बताते हैं कि प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां पूजा करने आते हैं। मंदिर निर्माण का कार्य कब तक पूरा होगा। इस प्रश्न के जवाब में शिवशंकर कहते हैं कि सब भोले बाबा की कृपा है। मंदिर निर्माण का कार्य भी उनके आदेश से शुरू हुआ था और अंत भी उनके आदेश से होगा। बेटे सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हैं। परिवार चलाने के लिए अपनी जमीन बटाई पर दे दी है, जिससे परिवार का खर्चा निकल जाता है। ग्रामीण भी शिवशंकर के प्रयास में सहयोग करते हैं।शिव शंकर महतो आज मंदिर के समीप एक खपड़ैल के मकान में पूरे परिवार के साथ रहते है। इनके चार बेटे और एक बेटी हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर निर्माण में न केवल परिवारजनों का बल्कि गांव के लोगों का भी सहयोग मिलता रहा है।

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