हमारे समाज में किसान और जवान का रिश्ता बताया जाता है बाप बेटे का
द न्यूज 15
नई दिल्ली। एक भैंसा बुग्गी पर सेना के जवानों के बैठने और चुनाव में ड्यूटी के सामान का एक फोटो खूब वायरल हो रहा है। यह फोटो दर्शा रहा है कि सरकारें कितना भी विकास का दावा कर ले पर अभी भी ऐसे कितने गांवों हैं जहां किसान ही हैं जो सरकारी मशीनरी लेकर जा सकते हैं। जिन किसानों को केंद्र सरकार और उसके समर्थक नक्सली, देशद्रोही न जाने क्या कहा बताते रहे। वे ही किसान सरकार चुनाव ड्यूुटी में शासन-प्रशासन की मदद कर रहे हैं। जब शासन प्रशासन का कोई उपाय काम न आया तब किसान की भैंसा बुग्गी ही उसके काम आई है। यह भैंसा बुग्गी का फोटो न केवल किसान की अहमियत दर्शा रहा है वहीं किसानों की देशभक्ति को भी दर्शा रहा है। दरअसल किसान और जवान एक दूसरे के पूरक हैं। किसान औेर जवान का रिश्ता बाप-बेटे का बताया जाता है। यह बात किसान आंदोलन में भी देखने को मिली थी। सरकार भले ही किसानों पर सख्ती बरत रही हो पर आंदोलित किसान और जवान बाप-बेटे और भाई-भाई की तरह मोर्चा संभाले हुए थे। कितने जवान किसानों के पंडाल में ही खाना खाते देखे जाते थे। किसान और जवान आपस में काफी बतियाते थे। बस अपनी-अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। किसान आंदोलन करने की तो जवान सरकार की ड्यूटी। ऐसे फोटो न केवल भाईचारा बढ़ाने में कारगर साबित होते हैं बल्कि सरकार की खामियों को बताने के साथ ही देशभक्ति को भी दर्शाते हैं। बार्डर पर भी ऐसे कितने दृश्य देखे जाते हैं किसान जवानों को सम्मान देते हैं। जवान भी किसानों की परेशानी में भागीदारी निभाते हैं। दरअसल देश में किसान ही है जो अपने बेटों को सेना में भेजने में गोर्वांवित महसूस करता है। वैसे भी सेना में अधिकतर जवान किसानों पृष्ठभूमि से ही हैं।