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बहादुर महिलाओं ने, बाघ के चंगुल से बचाई अपनी दोस्त की जान!

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आज के दौर में किसी को अपना दोस्त बोलना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन इस शब्द का मतलब बेहद ही कम लोगो को मालूम होता है। दोस्ती की मिसालें हर रिश्ते में की जाती है लेकिन इसको निभाना बेहद कम लोग जानते है। जिस खबर के बारे में हम आपको बताने जा रहे है, उससे आपको पता चलेगा कि आखिर सच्चा दोस्त किसे कहा जाता है। मामला उत्तराखंड के चंपावत जिले का है जंहा दो महिलाओं ने अपनी एक सहेली को मौत के मुंह से बाहर खींच लिया। घटना 26 दिसंबर की है. गीता देवी, जानकी देवी और पार्वती देवी नाम की तीन महिलाएं पशुओं के लिए चारा लेने जंगल जा रही थीं। रास्‍ते में घात लगाकर बैठे बाघ ने गीता देवी पर हमला बोल दिया। गीता का शोर सुनने के बाद कुछ दूरी पर घास काट रहीं जानकी देवी और पार्वती अपनी जान की परवाह न करते हुए मौके पर पहुंचे। उन्होंने हिम्मत कर बाघ पर लकड़ी-पत्थर बरसाए। इसके साथ ही हंसिया और डंडे से भी लगातार प्रहार किया। हमले से घबराया बाघ गीता देवी को छोड़कर जंगल के अंदर भाग गया। दोनों ने बाघ से लड़ाई कर अपनी सहेली की जान बचा ली।

बता दें, इस पूरी घटना में गीता देवी घायल हो गई। उन्हें ग्रामीणों ने बेहोशी की हालत में टनकपुर के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। अभी, गीता देवी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है और उनके करीब 24 टाँके आए है। इस पूरे मामले की पर, बून फारेस्‍ट रेंजर गुलजार हुसैन ने तीनो महिलाओं की बहादुरी और सूझबूझ की तारीफ की। साथ ही, उन्‍होंने आसपास के गांव में रहने वाले लोगों को कुछ दिनों तक के लिए जंगल में न जाने की सलाह दी है। लोगो की सुरक्षा को देखते हुए पूरे इलाके में वन विभाग ने पेट्रोलिंग बढ़ा दी है। बता दें, गांव में हर कोई तीनो सहेलियों के पराकर्म और दोस्ती की तारीफ़ कर रहा है।