बिहार में बीजेपी का प्लान ‘एच’ एक्टिव

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 लालू-चिराग और मांझी को छोड़िए, अब नीतीश भी हो जाएंगे हमेशा के लिए ‘सेट’!

दीपक कुमार तिवारी

पटना। भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते तेवर से इतना तो लगने लगा है कि आगामी विधानसभा चुनाव बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ने जा रही है। और जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैकफुट पर हैं, उस से एक बात और स्पष्ट होते दिख रही है कि जदयू की भूमिका बड़े भाई की भी नहीं होने जा रही है। आखिर भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह के गर्जन और अस्त्र बांटने की सहमति से यह तो स्पष्ट हो गया कि बीजेपी के रणनीतिकार बिहार को अब हिंदुत्व की प्रयोगस्थली बनाने जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह कल तक भले जुबानी जंग के जरिए हिंदुओं की बेबसी परोसते केवल सवाल खड़े कर रहे थे। लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अब एक्शन में आ गए और 18 अक्टूबर से हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालने की घोषणा कर सेक्युलर चरित्र वाले नीतीश कुमार की परेशानी भी बढ़ा दी।
गिरिराज सिंह के इस यात्रा से नीतीश कुमार का असहज हो जाना, उनकी नीतियों के कारण लाजमी भी है। पर सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि गिरिराज सिंह कि हिंदू स्वाभिमान यात्रा का उद्देश्य हिंदू समुदाय को एकजुट करना बताया जा रहा है। और वह भी ‘संगठित हिंदू-सुरक्षित हिंदू’ के स्लोगन के साथ। और तो और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की यात्रा का पहला चरण पूरी तरह से उस सीमांचल पर केंद्रित है, जहां मुस्लिमों की संख्या सबसे अधिक है।
जानकारी के अनुसार हिंदुत्व स्वाभिमान यात्रा 18 अक्टूबर को भागलपुर से शुरू होकर 22 अक्टूबर को किशनगंज में समाप्त हो जाएगी। हिंदू स्वाभिमान यात्रा का रूट प्लान कुछ इस तरह है। 18 अक्टूबर को भागलपुर, 19 अक्टूबर को कटिहार, 20 अक्टूबर को पूर्णिया, 21 अक्टूबर को अररिया, और 22 अक्टूबर को किशनगंज पहुंचेंगे। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां हिंदू एक हुए तो मुस्लिम वोट के आधार पर राजनीति करते हैं उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अपनी इस यात्रा का तर्क भी मीडिया वालों के सामने रखते हुए कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदू बहनों और बेटियों पर अत्याचार हुए, वैसी घटना की पुनरावृत्ति बिहार समेत कई राज्यों में हो सकते हैं। चरमपंथी ताकतों से बचने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट हो कर प्रतिरोध करना पड़ेगा। भाजपा के अंदरखाने की माने तो उनके रणनीतिकारों ने यह मान लिया कि ऑफेंस इस बेस्ट मेक्सनिज्म ऑफ डिफेंस।
वैसे भी सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का कोई विशेष असर नहीं दिखा। यहां तक कि जदयू को भी भाजपा के साथ का असर झेलना पड़ा। और नीतीश कुमार की तमाम मुस्लिम हितों की रक्षा करने वाले तमाम योजनाओं का भी असर भी उनके हक में नहीं दिखा। दूसरी तरफ भाजपा के गिरिराज सिंह हरियाणा में हिंदू की एकजुटता को आधार मानते इसे बिहार की भूमि पर भी आजमाना चाहते हैं।
हिंदुत्व की पटरी पर भाजपा की गाड़ी दौड़ाने वाले भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह की यह कोशिश अचानक से नहीं हुई है। प्रयास तो वे लगातार कर रहे थे। अपने बयानों के जरिए इस मुहिम को वे हवा देते रहे हैं। पर विधानसभा 2025 में कट्टर हिंदुत्व की धारा बहाई जाएगी, इसका संकेत तो उन्होंने उसी दिन दे दिया जब दुर्गा पूजा के क्रम में जनता के हाथ अस्त्र थमाए जाने का खुल कर समर्थन किया। और कहा कि हम सनातन धर्म के लोग दुर्गा पूजा में मां की पूजा अस्त्र-शस्त्र के साथ करते हैं, तो अगर अस्त्र बांटा जा रहा है तो इसमें कुछ गलत नहीं है।
गिरिराज सिंह ने आगे कहा था कि आरजेडी के तमाम नेता जब माथे पर टोकरी लेकर फुलवारी शरीफ मजार पर जा सकते हैं तो हिंदू अस्त्र-शस्त्र की पूजा कर घर में क्यों नहीं रख सकते हैं? अगर इस्‍लाम में यह सही है, तो हमारे देवी-देवताओं के हाथों में अस्त्र-शस्त्र होते हैं, उनको बांटने में क्या गलत है। दुर्गा माता के साथ यदि कोई अस्त्र लेकर जा रहा था, तो यह सौभाग्य की बात है। मैं तो कहूंगा कि हर हिंदू के घर में देवी-देवताओं के शस्त्रों की पूजा होनी चाहिए और उन्हें घर में रखना चाहिए, ताकि उनकी पूजा से हमारी रक्षा हो सके।

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