Bihar Education Minister चंद्रशेखर के रामचरितमानस को लेकर विवादीत बयान की वजह से वो हर तरफ से आलोचना के पात्र बने हुए हैं । एसे में भाजपा भी चंद्रशेखर के खिलाफ लगातार हमलावर हो रही है । हाल ही में भाजपा प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने तथ्यों के साथ चंद्रशेखर के झूठ का भांडा फोड़ा । उन्होंने राजद के मंत्री को नफरत की दूकान बताया ।
सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के शिक्षामंत्री द्वारा प्रभु श्री राम के जीवन चरित ‘रामचरितमानस’ के खिलाफ दिए गये घृणित बयान पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए । यह उसी टोले के हैं जिन्हें आज तक आतंकवादियों का धर्म नहीं दिखायी दिया है लेकिन ‘हिंदू आतंकवाद’ सुनते ही तालियां पीटने लगते हैं. चन्द्रशेखर जी राजद की उसी हिंदू द्रोही परंपरा का निर्वहन करते हुए अब हिंदू धर्मग्रंथों पर ज़हर उगल रहे हैं ।
चंद्रशेखर पर कसा तंज
चंद्रशेखर पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि, अपने बयान के सहारे इन्होंने एक बार फिर से साबित कर दिया कि भले ही नाम में प्रोफेसर लगा हो लेकिन लाठीधारी पार्टी(राजद) में जाते ही लोगों की बुद्धि कुंद पड़ जाती है. आधे-अधूरे ज्ञान के सहारे ही यह बुद्धिजीविता की उल्टियां करने लगते हैं. तथ्य को सामने रखते हुए, उन्होंने कहा कि उत्तरकांड में यह काकभुशुण्डी( कौवा) और गरुड़ (दोनों पक्षी, मानव नहीं) के बीच हुए संवाद का हिस्सा है. जिसमें काकभुशुंडी गरुड से अपने गुरु और अपने बीच के प्रकरण का उल्लेख कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरी चौपाई है – “हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ॥ अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ”॥3॥ जिसका मतलब है कि:-गुरुजी ने शिवजी को हरि का सेवक कहा। यह सुनकर हे पक्षीराज! मेरा हृदय जल उठा। नीच जाति(कौवा) का मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया जैसे दूध पिलाने से साँप॥3॥ सुरेंद्र कुमार ने आगे कहा कि यहां कौवारुपी काकभुशुंडी अपने को नीच कह रहा है, लेकिन बिहार के शिक्षामंत्री इसका अर्थ हिंदू समाज को बांटने के लिए कर रहे हैं । भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि उनके हिसाब से राजद के ‘जातिविशारदों’ को महर्षि वाल्मीकि की जाति पता होगी ही।बहरहाल चन्द्रशेखर जी की ज्ञान की धज्जियां अगली चौपाई द्वारा उड़ाते हुए, जिसमें काक भुशुंडी कहते हैं कि “मानी कुटिल कुभाग्य कुजाती। गुर कर द्रोह करउँ दिनु राती॥ अति दयाल गुर स्वल्प न क्रोधा। पुनि पुनि मोहि सिखाव सुबोधा”॥4॥ अर्थात :-अभिमानी, कुटिल, दुर्भाग्य और कुजाति (कौवा)मैं दिन-रात गुरुजी से द्रोह करता। गुरुजी अत्यंत दयालु थे, उनको थोड़ा सा भी क्रोध नहीं आता। (मेरे द्रोह करने पर भी) वे बार-बार मुझे उत्तम ज्ञान की ही शिक्षा देते थे॥4॥
इन 2 चौपाइयों के ज़रिए सिंह ने कहा कि ‘इनसे आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि रामचरितमानस नफरत की किताब है या चन्द्रशेखर और उनकी पार्टी राजद नफरत की दूकान। भाजपा प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने आगे लिखा कि यह सोचने का विषय है कि जिस व्यक्ति के मन में हिन्दुओं के लिए इतना जहर भरा हो तथा जिसका ज्ञान इतना अल्प हो वह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को कैसा जहरीला बना सकता है। उन्होंने आगे प्रश्न उठया कि यदि वह सत्य हैं तो फिर रामायण के जनक ‘वाल्मीकि’ महर्षि कैसे हो गये? क्या उन्होंने बिना शिक्षा ग्रहण किये ही रामायण जैसे महाकाव्य की रचना कर दी थी। माता सीता को आश्रय देने वाले वही थे और लव तथा कुश के गुरु भी वही.
नीतीश पर साधा निशाना
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश को भी सवाल के घेरे में लिया और कहा कि राज्य की शिक्षा को एसे व्यक्ति के हाथों में सौंप कर क्या वे युवाओं के भविष्य को गढ्ढे में पहुंचा देना चाहते हैं ? सुरेंद्र कुमार सिंह ने ये भी कहा कि समाजिक सद्भाव की माला जपने वाले नीतीश जी को बताना चाहिए कि हिन्दुओं को बार-बार अपमानित करवाने से कौन सा समाजिक सद्भाव बढ़ता है? रामचरितमानस प्रकरण पर तथ्यों के साथ शिक्षामंत्री के झूठ का भांडाफोड कर, मुख्यमंत्री नीतीश से की शिक्षामंत्री को बर्खास्त करने की मांग की और कहा किसी अन्य धर्मविशेष की धार्मिक किताब पर ऐसी टिप्पणी की होती तो बिहार में गूंज रहे होते सर तन से जुदा के नारे