चरण सिंह राजपूत
भले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख अभी घोषित न हुई हो पर सभी दल चुनावी समर में उतर चुके हैं। वैसे तो कई दल सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं पर असली लड़ाई सपा और भाजपा के बीच मानी जा रही है। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे की गलतियां निकालते हुए चुनावी प्रचार में लगी हैं। भाजपा जहां सत्ता के बल पर समाजवादी पार्टी को निशाना बना रही है वहीं सपा सरकार की कमियों को उजागर करके चुनावी माहौल बनाने में लगी है। उत्तर प्रदेश चुनाव में लखीमपुर खीरी कांड बड़ा मुद्दा बन चुका है। किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलने के आरोप का सामना कर रहे केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को भले ही जमानत न मिल रही हो पर किसानों को सुधर जाओ नहीं तो सुधार दिये जाआगे की धमकी देने वाली अजय मिश्रा का भाजपा कुछ न बिगाड़ पा रही है। किसान संगठनों के अलावा विपक्ष भी लगातार अजय मिश्रा को उनके पद से हटाने की मांग कर रहा है। संसद में भी अजय मिश्रा को हटाने की मांग जोर शोर से हो रही है पर अजय मिश्रा का कुछ नहीं बिगड़ पा रहा है। दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मनोहर जोशी, शत्रुघन सिन्हा को ठिकाने लगाने वाली भाजपा टेनी का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे है। अजय मिश्रा का गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच शेयर करना और पत्रकारों के साथ बदसलूकी करना भाजपा के खिलाफ जा रहा है। विपक्ष के साथ ही पत्रकारों ने भी अजय मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है पर भाजपा अजय मिश्रा पर एक्शन लेने से बच रही है। इसमें दो राय नहीं है कि भाजपा जितना समय अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करन में ले रही है उतना ही नुकसान उसे विधानसभा चुनाव में उठाने का अंदेशा हो रहा है। भले ही येागी सरकार ने राकेश टिकैत को साधकर लखीमपुर खीरी कांड को काफी हद तक शांत कर दिया था पर अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग राकेश टिकैत भी समय-समय पर करते रहे हैं। भाजपा को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाने का बड़ा कारण अजय मिश्रा का आपराधिक रिकार्ड रहा है। लखीमपुर खीरी मामले में एसआइटी ने जो जांच रिपोर्ट बनाई है, उसमें भी अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्र पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिस पर पत्रकारों ने उनसे बात करना चाहा तो वे धमकी देते हुए बुरी तरह भड़क गए और बदसलूकी भी की। पत्रकार टेनी की आपराधिक छवि पर चर्चा तेज हो गई है।