Tag: AJAY MISHRA

  • आशीष मिश्र के बाहर आते ही धरने पर बैठ जाएंगे राकेश टिकैत! 

    आशीष मिश्र के बाहर आते ही धरने पर बैठ जाएंगे राकेश टिकैत! 

    भाकियू प्रवक्ता ने कहा-कुख्यात लखीमपुर खीरी प्रकरण को पूरे देश और दुनिया ने देखा  जघन्य अपराध करने के बावजूद आशीष मिश्रा को तीन महीने के भीतर जमानत मिल जाती है 

    द न्यूज 15 
    लखनऊ। किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) लखीमपुर खीरी हिंसा प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा, जिसमें चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा इस मामले में मुख्य आरोपी हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें 10 फरवरी को जमानत दे दी थी। उसके मंगलवार शाम पांच बजे तक जेल से बाहर आने की उम्मीद है। टिकैत ने चेतावनी दी कि आशीष कोे जेल से बाहर किया गया तो हम जेल के बाहर ही धरना देने बैठ जाएंगे।
    किसान आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत, जो एसकेएम का हिस्सा है, ने उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनावों के बीच भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुख्यात लखीमपुर खीरी प्रकरण को पूरे देश और दुनिया ने देखा। जघन्य अपराध करने के बावजूद आशीष मिश्रा को तीन महीने के भीतर जमानत मिल जाती है। टिकैत ने संवाददाताओं से कहा कि हर कोई इसे देख रहा है।
    किसान नेता ने कहा, “तो क्या ऐसी तानाशाही सरकार की जरूरत है, या इस तरह की व्यवस्था की जरूरत है जिसमें कोई व्यक्ति जो एक वाहन के नीचे लोगों को कुचलता है वह तीन महीने के भीतर जेल से बाहर निकल जाता है। आने वाले समय में वे जनता के साथ कैसा व्यवहार करेंगे? ये हमारे मुद्दे हैं और लोगों को समझने की जरूरत है।”
    उन्होंने दावा किया कि मामले में ऑनलाइन अदालत की सुनवाई के दौरान जब अभियोजन पक्ष अपनी बात रख रहा था तब बिजली गुल थी लेकिन पूरे बिंदु को अदालत के सामने नहीं रखा जा सका। उन्होंने किसान समुदाय और युवाओं से संबंधित मुद्दों पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और यूपी सरकार पर निशाना साधा, साथ ही विकास के लिए काम करने के बजाय सांप्रदायिक एजेंडे पर चुनाव लड़ने के लिए भगवा पार्टी की आलोचना की। गन्ने की खेती के लिए मशहूर लखीमपुर खीरी में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं- गोला गोकरनाथ, धौरहरा, श्री नगर, लखीमपुर, मोहम्मदी, कस्ता, पलिया और निघासन। 2017 में भाजपा उम्मीदवारों द्वारा जीती गई सभी आठ विधानसभा सीटों पर चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होगा।

  • केंद्रीय मंत्री से रंगदारी मांगने पर, १० दिन के रिमांड पर लिया

    केंद्रीय मंत्री से रंगदारी मांगने पर, १० दिन के रिमांड पर लिया

    नई दिल्ली | केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा से कथित तौर पर रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को 9 जनवरी तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। आरोपी कथित तौर पर 2.5 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे और 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में चार किसानों की हत्या से संबंधित एक वीडियो जारी करने की धमकी दे रहे थे, उन्हें 24 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।

    ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट उद्धव कुमार जैन ने जिन आरोपियों की तीन दिन की हिरासत सोमवार को समाप्त हो गई, उन्हें 9 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

    अदालत ने पुलिस को दो आरोपियों – अमित कुमार मांझी और निशांत सिंह राणा की आवाज के नमूने लेने की भी अनुमति दी। अदालत को सूचित किया गया था कि ज्यादातर कॉल अमित ने किए थे।

    पुलिस के अनुसार, चार आरोपियों को नोएडा से और एक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

  • केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को हटाने की मौजूद हैं कई वजहें

    केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को हटाने की मौजूद हैं कई वजहें

    प्रेरणा जैन

    खीमपुर खीरी कांड में उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर विपक्षी पार्टियां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी को बर्खास्त करने की मांग रही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न तो उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं और न ही उन्हें बर्खास्त कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी अजय मिश्र का बचाव इस आधार पर कर रही है कि बेटे के अपराध के लिए पिता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
    गौरतलब है कि लखीमपुर में चार किसानों और एक पत्रकार को गाड़ी से कुचल कर मारने के मामले में अजय मिश्र का बेटा आशीष मिश्र मुख्य आरोपी है और गिरफ्तार है। एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इस घटना को एक सोची-समझी साजिश का परिणाम बताया है। भाजपा और केंद्र सरकार मामले को इस तरह पेश कर रहे है, जैसे आशीष मिश्र के अपराध के लिए अजय मिश्र का इस्तीफा मांगा जा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है।
    अजय मिश्र के बेटे किसानों को कुचल कर बाद में मारा है, उससे पहले अजय मिश्र ने किसानों अपने खिलाफ काले झंडे दिखाते हुए प्रदर्शन कर रहे किसानों को धमकी दी थी, सार्वजनिक मंच से उनको सबक सिखा देने की चेतावनी दी थी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने 25 सितंबर को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपने बारे में गर्व से बताते हुए कहा था- ”सिर्फ मंत्री या सांसद, विधायक भर नहीं हूं। जो लोग मेरे विधायक और सांसद बनने से पहले मेरे बारे में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं।’’
    अजय मिश्र ने अपने भाषण में आंदोलन कर रहे किसानों को चेतावनी देते हुए कहा था- ”जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार कर लिया उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर खीरी तक छोड़ना पड़ जाएगा, यह याद रहे।’’ इस भाषण के वायरल हुए वीडियो में वे यह भी कहते सुनाई दे रहे है कि सामना करो आकर, ”हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेंगे।’’
    गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के ऊपर हत्या सहित कई दूसरे आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। उन्होंने किसानो कों उन मुकदमों की याद दिलाई थी और सबक सिखा देने की चेतावनी दी थी। दरअसल जैसा अजय मिश्र का जैसा अतीत है, उसे देखते हुए उनको मंत्री बनाना ही नहीं चाहिए था, लेकिन वे भाजपा उम्मीदवार के तौर पर न सिर्फ सांसद चुने गए बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनको अपनी सरकार में मंत्री भी बना दिया।
    ठीक है, अगर मंत्री बना भी दिया तो इस भाषण के बाद ही उन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, जो कि नहीं हुई और उनके भाषण के ठीक एक हफ्ते बाद तीन अक्टूबर को उनके नाम से रजिस्टर्ड गाड़ी से किसानों को कुचल कर मार दिया गया। गाड़ी में अजय मिश्र का बेटा मौजूद था। जब राज्य सरकार की एसआईटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि किसानों को कुचल कर मार डालने की घटना एक सोची-समझी साजिश के तहत हुई है तो यह क्यों नहीं माना जाए कि इस साजिश मे मंत्री भी शामिल हो सकते है?
    अजय मिश्र का मंत्रिपरिषद से इस्तीफा इसलिए भी होना चाहिए कि एसआईटी ने अभी अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, क्योंकि जांच अभी भी जारी है, जिसे प्रभावित किया जा सकता है। अजय मिश्र केंद्र सरकार के गृह राज्य मंत्री है, जो अपनी आधिकारिक हैसियत से जांच को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। उनका इस्तीफा इसलिए भी होना चाहिए कि उन्होंने अपने बेटे के कथित अपराध की एसआईटी जांच के बारे में सवाल पूछने पर एक पत्रकार को पीट दिया और मोबाइल फोन छीन लिया। सो, यह सिर्फ नैतिकता का मामला नहीं है, जिसके आधार पर मंत्री का इस्तीफा मांगा जा रहा है, बल्कि धमकी देने, मंत्री के तौर पर गलत आचरण करने और एक साजिश में शामिल होने की संभावना के कारण इस्तीफा मांगा जा रहा है।
    अजय मिश्र से इस्तीफा मांगे जाने या उन्हें मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किए जाने के पर्याप्त आधार मौजूद होने के बावजूद प्रधानमंत्री ने उन्हें मंत्री बनाए रखा है और उनकी पार्टी उनका बचाव कर रही है तो सिर्फ इसलिए कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। माना जाता है कि प्रधानमंत्री ने अजय मिश्र को उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण चेहरे के तौर पर अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल किया था। अब वे उन्हें हटा इसलिए नहीं रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि उन्हें हटा देने से उत्तर प्रदेश में पहले से ही भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी और बढ जाएगी। यानी वे एक आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को ब्राह्मणों का नेता मान कर चल रहे हैं। सवाल है कि क्या ऐसा मान कर अजय मिश्र का बचाव करना उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं का अपमान नहीं है?
    एसआईटी के ऊपर दबाव था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जांच में देरी पर कई बार उसे फटकार लगाई थी। इसके बावजूद जांच रिपोर्ट में राजनीति देखी जा रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री और मुख्यमंत्री के टकराव वाले रिश्ते को भी इससे जोड़ा जा रहा है। एक तरफ ब्राह्मण वोट की चिंता है तो दूसरी ओर निजी मसले हैं। लेकिन ऐसा लग रहा है कि राज्य की सत्ता ने पुराना हिसाब चुकता कर लिया है अब देखना है कि केंद्र की सत्ता कैसे अजय मिश्र को कैसे और कब तक बचाती है?

  • अखिलेश का अकेले मुश्किल है भाजपा से निपटना

    अखिलेश का अकेले मुश्किल है भाजपा से निपटना

    चरण सिंह राजपूत

    ले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख अभी घोषित न हुई हो पर सभी दल चुनावी समर में उतर चुके हैं। वैसे तो कई दल सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं पर असली लड़ाई सपा और भाजपा के बीच मानी जा रही है। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे की गलतियां निकालते हुए चुनावी प्रचार में लगी हैं। भाजपा जहां सत्ता के बल पर समाजवादी पार्टी को निशाना बना रही है वहीं सपा सरकार की कमियों को उजागर करके चुनावी माहौल बनाने में लगी है। उत्तर प्रदेश चुनाव में लखीमपुर खीरी कांड बड़ा मुद्दा बन चुका है। किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलने के आरोप का सामना कर रहे केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को भले ही जमानत न मिल रही हो पर किसानों को सुधर जाओ नहीं तो सुधार दिये जाआगे की धमकी देने वाली अजय मिश्रा का भाजपा कुछ न बिगाड़ पा रही है। किसान संगठनों के अलावा विपक्ष भी लगातार अजय मिश्रा को उनके पद से हटाने की मांग कर रहा है। संसद में भी अजय मिश्रा को हटाने की मांग जोर शोर से हो रही है पर अजय मिश्रा का कुछ नहीं बिगड़ पा रहा है। दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मनोहर जोशी, शत्रुघन सिन्हा को ठिकाने लगाने वाली भाजपा टेनी का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे है। अजय मिश्रा का गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच शेयर करना और  पत्रकारों के साथ बदसलूकी करना भाजपा के खिलाफ जा रहा है। विपक्ष के साथ ही पत्रकारों ने भी अजय मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है पर भाजपा अजय मिश्रा पर एक्शन लेने से बच रही है। इसमें दो राय नहीं है कि भाजपा जितना समय अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करन में ले रही है उतना ही नुकसान उसे विधानसभा चुनाव में उठाने का अंदेशा हो रहा है। भले ही येागी सरकार ने राकेश टिकैत को साधकर लखीमपुर खीरी कांड को काफी हद तक शांत कर दिया था पर अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग राकेश टिकैत भी समय-समय पर करते रहे हैं। भाजपा को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाने का बड़ा कारण अजय मिश्रा का आपराधिक रिकार्ड रहा है। लखीमपुर खीरी मामले में एसआइटी ने जो जांच रिपोर्ट बनाई है, उसमें भी अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्र पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिस पर पत्रकारों ने उनसे बात करना चाहा तो वे धमकी देते हुए बुरी तरह भड़क गए और बदसलूकी भी की। पत्रकार टेनी की आपराधिक छवि पर चर्चा तेज हो गई है।

    दरअसल अजय मिश्रा उर्फ़ टेनी की आपराधिक डोर बहुत लंबी है, 1990 में ही इन पर आपराधिक मामला दर्ज हुआ, 1996 में हिस्ट्रीशीटर घोषित किए गए, जिसकी नोटिस बाद में रद्द हो गई। वहीं 2000 में हत्या मामले में इन पर मुकदमा हुआ, जिस पर ये निचली अदालत से बरी हो गए मगर मामला अभी उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसकी वजह से इनकी आम छवि अपराधी की रही है। लखीमपुर की घटना के बाद से इन पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चुनावी नफा-नुकसान को देखते हुए इन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। कहा जा रहा है कि अगर सरकार इनको हटाती है तो किसानों की नाराजगी कम जरूर होगी, लेकिन विपक्ष चुनाव के दौरान यह कहते हुए हावी हो जाएगा कि सरकार ने देर से एक्शन देर से लिया। दूसरी तरफ अगर सरकार हटाती है तो विपक्ष  भले ही चुप हो जाओ लेकिन ब्राह्मण वोट जरूर नाराज होगा। हटाने पर सरकार जीरो टॉलरेंस नीति का प्रचार करेगी, लेकिन लखीमपुर कांड में गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग भी जोर पकड़ेगी। दरअसल लखीमपुर हिंसा से कुछ दिन पहले ही लखीमपुर के सम्पूर्णानगर में हुई एक बैठक में मंत्री टेनी किसान आंदोलन के प्रति बेहद कठोर दिखे थे । टेनी किसानों को धमकाते हुए कह रहे थे कि ‘सुधर जाओ नहीं तो हम सुधार देंगे, केवल दो मिनट लगेंगे। मैं केवल मंत्री, सांसद, विधायक नहीं हूं, जो लोग मेरे मंत्री बनने से पहले के बारे में जानते हैं उनसे पूछ लो कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं। जिस दिन ये चुनौती मैं स्वीकार कर लूंगा तो तुम लोगों को पलियां ही नही बल्कि लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा’। बहरहाल टेनी का इतिहास सबके सामने है और लखीमपुर मामला टेनी पर भारी पड़ता दिख रहा है। फिर भी भाजपा का अपराध और अपराधों के प्रति सख्ती का रवैया कुछ साफ नहीं हो रहा। मोदी के मंत्रिमंडल में टेनी अब भी बने हुए हैं, जबकि बुधार को पत्रकारों के साथ उनकी बदसलूकी मीडिया में वायरल हो चुकी है। सूत्रों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस पूरे प्रकरण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

  • उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकता है अजय मिश्रा का बचाव

    उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकता है अजय मिश्रा का बचाव

    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी कांड बड़ा मुद्दा बन चुका है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के किसानों को धमकी देने के बावजूद और उनके बेटे के तीन किसानों की हत्या के आरोपी होने के बावजूद उनको मंत्रिमंडल से बर्खास्त नहीं किया जा रहा है। किसानों को धमकी देने औेर सवाल पूछने पर पत्रकारों के साथ बदसलूकी करने पर विपक्ष और पत्रकारों ने इसे मुद्दा बना लिया है।

  • बीजेपी को भारी पड़ सकता है टेनी का बचाव

    बीजेपी को भारी पड़ सकता है टेनी का बचाव

    चरण सिंह राजपूत 

    ले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख अभी घोषित न हुई हो पर सभी दल चुनावी समर में उतर चुके हैं। वैसे तो कई दल सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं पर असली लड़ाई सपा और भाजपा के बीच मानी जा रही है। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे की गलतियां निकालते हुए चुनावी प्रचार में लगी हैं। भाजपा जहां सत्ता के बल पर समाजवादी पार्टी को निशाना बना रही है वहीं सपा सरकार की कमियों को उजागर करके चुनावी माहौल बनाने में लगी है। उत्तर प्रदेश चुनाव में लखीमपुर खीरी कांड बड़ा मुद्दा बन चुका है। किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलने के आरोप का सामना कर रहे केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को भले ही जमानत न मिल रही हो पर किसानों को सुधर जाओ नहीं तो सुधार दिये जाआगे की धमकी देने वाली अजय मिश्रा का भाजपा कुछ न बिगाड़ पा रही है। किसान संगठनों के अलावा विपक्ष भी लगातार अजय मिश्रा को उनके पद से हटाने की मांग कर रहा है। संसद में भी अजय मिश्रा को हटाने की मांग जोर शोर से हो रही है पर अजय मिश्रा का कुछ नहीं बिगड़ पा रहा है। दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मनोहर जोशी, शत्रुघन सिन्हा को ठिकाने लगाने वाली भाजपा टेनी का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे है। अजय मिश्रा का गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच शेयर करना और  पत्रकारों के साथ बदसलूकी करना भाजपा के खिलाफ जा रहा है। विपक्ष के साथ ही पत्रकारों ने भी अजय मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है पर भाजपा अजय मिश्रा पर एक्शन लेने से बच रही है। इसमें दो राय नहीं है कि भाजपा जितना समय अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करन में ले रही है उतना ही नुकसान उसे विधानसभा चुनाव में उठाने का अंदेशा हो रहा है। भले ही येागी सरकार ने राकेश टिकैत को साधकर लखीमपुर खीरी कांड को काफी हद तक शांत कर दिया था पर अजय मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग राकेश टिकैत भी समय-समय पर करते रहे हैं। भाजपा को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाने का बड़ा कारण अजय मिश्रा का आपराधिक रिकार्ड रहा है। लखीमपुर खीरी मामले में एसआइटी ने जो जांच रिपोर्ट बनाई है, उसमें भी अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्र पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिस पर पत्रकारों ने उनसे बात करना चाहा तो वे धमकी देते हुए बुरी तरह भड़क गए और बदसलूकी भी की। पत्रकार टेनी की आपराधिक छवि पर चर्चा तेज हो गई है।

    दरअसल अजय मिश्रा उर्फ़ टेनी की आपराधिक डोर बहुत लंबी है, 1990 में ही इन पर आपराधिक मामला दर्ज हुआ, 1996 में हिस्ट्रीशीटर घोषित किए गए, जिसकी नोटिस बाद में रद्द हो गई। वहीं 2000 में हत्या मामले में इन पर मुकदमा हुआ, जिस पर ये निचली अदालत से बरी हो गए मगर मामला अभी उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसकी वजह से इनकी आम छवि अपराधी की रही है। लखीमपुर की घटना के बाद से इन पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चुनावी नफा-नुकसान को देखते हुए इन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। कहा जा रहा है कि अगर सरकार इनको हटाती है तो किसानों की नाराजगी कम जरूर होगी, लेकिन विपक्ष चुनाव के दौरान यह कहते हुए हावी हो जाएगा कि सरकार ने देर से एक्शन देर से लिया। दूसरी तरफ अगर सरकार हटाती है तो विपक्ष  भले ही चुप हो जाओ लेकिन ब्राह्मण वोट जरूर नाराज होगा। हटाने पर सरकार जीरो टॉलरेंस नीति का प्रचार करेगी, लेकिन लखीमपुर कांड में गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग भी जोर पकड़ेगी। दरअसल लखीमपुर हिंसा से कुछ दिन पहले ही लखीमपुर के सम्पूर्णानगर में हुई एक बैठक में मंत्री टेनी किसान आंदोलन के प्रति बेहद कठोर दिखे थे । टेनी किसानों को धमकाते हुए कह रहे थे कि ‘सुधर जाओ नहीं तो हम सुधार देंगे, केवल दो मिनट लगेंगे। मैं केवल मंत्री, सांसद, विधायक नहीं हूं, जो लोग मेरे मंत्री बनने से पहले के बारे में जानते हैं उनसे पूछ लो कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं। जिस दिन ये चुनौती मैं स्वीकार कर लूंगा तो तुम लोगों को पलियां ही नही बल्कि लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा’। बहरहाल टेनी का इतिहास सबके सामने है और लखीमपुर मामला टेनी पर भारी पड़ता दिख रहा है। फिर भी भाजपा का अपराध और अपराधों के प्रति सख्ती का रवैया कुछ साफ नहीं हो रहा। मोदी के मंत्रिमंडल में टेनी अब भी बने हुए हैं, जबकि बुधार को पत्रकारों के साथ उनकी बदसलूकी मीडिया में वायरल हो चुकी है। सूत्रों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस पूरे प्रकरण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
  • कांग्रेस ने लोकसभा में स्थगन नोटिस दिया, अजय मिश्रा को हटाने की मांग

    कांग्रेस ने लोकसभा में स्थगन नोटिस दिया, अजय मिश्रा को हटाने की मांग

    नई दिल्ली| कांग्रेस सांसदों ने बुधवार को लोकसभा में लखीमपुर खीरी की घटना पर चर्चा के लिए कई स्थगन नोटिस दिए और एसआईटी की रिपोर्ट के बाद हिंसा को ‘पूर्व नियोजित’ करार देते हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को हटाने की मांग की। राहुल गांधी ने पार्टी के मुख्य सचेतक के सुरेश और मनिकम टैगोर के साथ मिलकर टेनी को हटाने के लिए दबाव डाला। उनके बेटे ने कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध करते हुए चार किसानों को कुचल दिया था।

    मंगलवार को, लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के समक्ष एक आवेदन दायर कर 13 आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोपों के तहत उनके अपराध को दंडनीय बनाने के लिए नई धाराओं को शामिल करने का अनुरोध किया।

    एसआईटी जांच अधिकारी विद्याराम दिवाकर ने सीजेएम की अदालत में आईपीसी की धारा 279, 338 और 304 ए की जगह वारंट में नई धाराएं जोड़ने के लिए आवेदन दायर किया था।

    अपने आवेदन में, जांच अधिकारी ने कहा था कि “घटना सुनियोजित और एक जानबूझकर की गई साजिश के तहत रची गई थी”।