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एकनाथ शिंदे के नखरे नहीं झेलने वाली है बीजेपी!

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चरण सिंह
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को यह समझ लेना चाहिए कि आज की तारीख में बीजेपी किसी के नखरे झेलने को तैयार नहीं है। उन्हें उनकी पसंद का का कोई मंत्रालय नहीं मिलने जा रहा है। मुख्यमंत्री पद तो वह भूल ही जाइये। शिंदे का यह समझ लेना चाहिए कि जब लोकसभा में टीडीपी और जदयू को कोई खास मंत्रालय नहीं मिला तो शिवसेना को कैसे मिल जाएगा, जबकि टीडीपी और जदयू के समर्थन से तो एनडीए सरकार चल रही है। यह भी जमीनी हकीकत है कि यदि एकनाथ शिंदे कुछ ज्यादा ही नखरे दिखाएंगे तो सत्ता से बाहर भी हो जाएंगे।
दरअसल शिवसेना के बिना भी बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में है। वह एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, क्योंकि १३२ सीटें बीजेपी की हैं तो ४१ सीटें एनसीपी की हैं। ऊपर से एकनाथ शिंदे को यह भी समझना चाहिए कि गृहमंत्री अमित शाह ने अजित पवार को शिंदे से ज्यादा तवज्जो इसलिए ही दी है क्योंकि वह एकनाथ शिंदे को एहसास करा रहे थे कि आपके बिना भी वह सरकार बना सकते हैं। जो चैनल एकनाथ शिंदे के बीजेपी को झटका देने की खबर चला रहे हैं तो वे यह भी तो बता दें कि क्या महाअघाड़ी से मिलकर एकनाथ शिंदे क्या सरकार बनाने की स्थिति में हैं ? नहीं न। तो फिर शिंदे बीजेपी को झटका कैसे दे सकते हैं ?
दरअसल महाराष्ट्र चुनाव में शिवसेना के ५७ तो महाअघाड़ी को ४९ सीटें मिली हैं। मतलब इनके मिलने से भी सरकार नहीं बन रही है। ऐसे में एकनाथ शिंदे सत्ता से बाहर रहकर मूर्खता तो नहीं करेंगे। वैसे भी एकनाथ शिंदे यह भी जानते हैं कि जब बीजेपी बाला साहेब की शिवसेना तुड़वाकर उन्हें मजबूत कर सकती है तो उनकी शिवसेना तुड़वा कर किसी दूसरे नेता को भी मजबूत कर सकती है। ऊपर से मुख्यमंत्री के रहते भ्रष्टाचार के मामले अलग से निकाले एकनाथ शिंदे के नखरे नहीं झेलने वाली है बीजेपी!
चरण सिंह
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को यह समझ लेना चाहिए कि आज की तारीख में बीजेपी किसी के नखरे झेलने को तैयार नहीं है। उन्हें उनकी पसंद का का कोई मंत्रालय नहीं मिलने जा रहा है। मुख्यमंत्री पद तो वह भूल ही जाइये। शिंदे का यह समझ लेना चाहिए कि जब लोकसभा में टीडीपी और जदयू को कोई खास मंत्रालय नहीं मिला तो शिवसेना को कैसे मिल जाएगा, जबकि टीडीपी और जदयू के समर्थन से तो एनडीए सरकार चल रही है। यह भी जमीनी हकीकत है कि यदि एकनाथ शिंदे कुछ ज्यादा ही नखरे दिखाएंगे तो सत्ता से बाहर भी हो जाएंगे।
दरअसल शिवसेना के बिना भी बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में है। वह एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, क्योंकि १३२ सीटें बीजेपी की हैं तो ४१ सीटें एनसीपी की हैं। ऊपर से एकनाथ शिंदे को यह भी समझना चाहिए कि गृहमंत्री अमित शाह ने अजित पवार को शिंदे से ज्यादा तवज्जो इसलिए ही दी है क्योंकि वह एकनाथ शिंदे को एहसास करा रहे थे कि आपके बिना भी वह सरकार बना सकते हैं। जो चैनल एकनाथ शिंदे के बीजेपी को झटका देने की खबर चला रहे हैं तो वे यह भी तो बता दें कि क्या महाअघाड़ी से मिलकर एकनाथ शिंदे क्या सरकार बनाने की स्थिति में हैं ? नहीं न। तो फिर शिंदे बीजेपी को झटका कैसे दे सकते हैं ?
दरअसल महाराष्ट्र चुनाव में शिवसेना के ५७ तो महाअघाड़ी को ४९ सीटें मिली हैं। मतलब इनके मिलने से भी सरकार नहीं बन रही है। ऐसे में एकनाथ शिंदे सत्ता से बाहर रहकर मूर्खता तो नहीं करेंगे। वैसे भी एकनाथ शिंदे यह भी जानते हैं कि जब बीजेपी बाला साहेब की शिवसेना तुड़वाकर उन्हें मजबूत कर सकती है तो उनकी शिवसेना तुड़वा कर किसी दूसरे नेता को भी मजबूत कर सकती है। ऊपर से मुख्यमंत्री के रहते भ्रष्टाचार के मामले अलग से निकाले जा सकते हैं।
दरअसल बीजेपी आज की तारीख में किसी पार्टी को कुछ समझने को तैयार नहीं है। नखरे झेलने को कतई तैयार नहीं। लोकसभा चुनाव में तो टीडीपी और जदयू के समर्थन से ही बीजेपी की सरकार बनी है। क्या बीजेपी ने किसी पार्टी को उसकी मनपसंद का मंत्रालय दिया ? उस समय कहा जा रहा था कि टीडीपी गृह मंत्रालय मांग रही है। जदयू को भी कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं मिला। गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय भी बीजेपी ने अपने ही पास रखा है। एकनाथ शिंदे के माध्यम से बीजेपी बिहार के मुख्यमंत्री को भी एक बड़ा संदेश देना चाहती है कि यदि उनकी कुर्सी भी स्थाई नही है।जा सकते हैं।
दरअसल बीजेपी आज की तारीख में किसी पार्टी को कुछ समझने को तैयार नहीं है। नखरे झेलने को कतई तैयार नहीं। लोकसभा चुनाव में तो टीडीपी और जदयू के समर्थन से ही बीजेपी की सरकार बनी है। क्या बीजेपी ने किसी पार्टी को उसकी मनपसंद का मंत्रालय दिया ? उस समय कहा जा रहा था कि टीडीपी गृह मंत्रालय मांग रही है। जदयू को भी कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं मिला। गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय भी बीजेपी ने अपने ही पास रखा है। एकनाथ शिंदे के माध्यम से बीजेपी बिहार के मुख्यमंत्री को भी एक बड़ा संदेश देना चाहती है कि यदि उनकी कुर्सी भी स्थाई नही है।