बिहार में सियासी ‘खेला’ के लिए बीजेपी ने तैयार किया ‘औजार’

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 असली खेल तो अब एनडीए में होगा!,  जानें अंदर की बात

दीपक कुमार तिवारी

पटना। बिहार की राजनीति में गरमाहट फिर बढ़ गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का कहना है कि जीतन राम मांझी के बयानों से साफ है कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है। दरअसल, जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के संबंधों को लेकर बयान दिया था, जिसपर आरजेडी ने सवाल उठाए हैं। वहीं जेडीयू ने आरजेडी के दावों को खारिज करते हुए कहा है कि एनडीए में कोई अनबन नहीं है।
आरजेडी मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि बीजेपी अपने सहयोगियों को निगल जाती है और मांझी भाजपा के औजार बन गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले अपने करीबी सहयोगियों को ही खत्म करती है। हरियाणा में दुष्यंत चौटाला इसका उदाहरण हैं। शक्ति यादव ने आगे कहा कि चिराग पासवान के लगातार बयानों से भाजपा चिढ़ गई है और मांझी को अब उनके खिलाफ इस्तेमाल कर रही है।
शक्ति यादव ने यह भी दावा किया कि जदयू भी अब भाजपा के निशाने पर है। उन्होंने कहा कि जो भी लोकतंत्र में यकीन रखता है उसे भाजपा से अलग हो जाना चाहिए। मांझी भाजपा के लिए एक हथियार हैं जिनके जरिए वह अपने सहयोगियों को निशाना बनाती है। उन्होंने चिराग पासवान से सवाल पूछा कि रामविलास पासवान ने गुजरात दंगों के बाद भाजपा से नाता तोड़ लिया था। क्या चिराग सच में अपने पिता की विचारधारा पर चलते हैं?
दरअसल, आरजेडी के आरोपों की जड़ जीतन राम मांझी के उस बयान में छिपी है जिसमें उन्होंने कहा था कि रामविलास के स्वरूप आरएलजेपी प्रमुख पशुपति पारस हैं। रामविलास की जो रिक्ति है उसे पारस ही पूरा कर सकते हैं। मांझी के इस बयान से चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) भड़क उठी। लोजपा सांसद अरुण भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पशुपति पारस में कोई गुण नहीं है। रामविलास के उद्देश्य और राजनीतिक विरासत को चिराग ही आगे ले जा सकते हैं।
दूसरी ओर जेडीयू ने आरजेडी नेता के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। जदयू के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि हर गठबंधन में छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं। समझदार नेता आपस में बातचीत कर मामला सुलझा लेते हैं। उन्होंने कहा कि राजद को एनडीए की चिंता करने की बजाय अपने गठबंधन ‘इंडिया’ पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन क्यों नहीं कर पाए? कश्मीर में पीडीपी ने ‘इंडिया’ गठबंधन का साथ क्यों नहीं दिया?

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