भाजपा 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी की भूमिका को नकार रही है: कांग्रेस

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भूमिका को नाकारा
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नयी दिल्ली,कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि असुरक्षित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)1971 के युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका को नकार रही है। राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बंगलादेश को 50 वर्ष पहले आजादी मिली थी और उस समय की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने पाकिस्तान के प्रभुत्व से लोगों को मुक्त कराने में अहम भूमिका अदा की थी और इसी के चलते बंगलादेश अस्तित्व में आया था।

उन्होंने कहा कि सरकार और सेना की मदद से इंदिरा जी ने पाकिस्तान को दो देशों में बांट दिया था और उसी युद्ध के कारण बंगलादेश एक अलग देश के तौर पर अस्तित्व में आया था तथा बंगलादेश आज भी उनका और भारत का आभारी है।

खरगे ने कहा”पंड़ित जवाहरलाल नेहरू के समय से ही कांग्रेस लोकतांत्रिक देशों की मदद कर रही है लेकिन सरकार में बैठे कुछ लोग श्रीमती गांधी तथा उनके योगदान को समाप्त करना चाह रहे हैं। इंदिरा गांधी सरकार ने लगभग 95000 पाकिस्तानी सैनिकों को एक वर्ष तक बंदी बनाकर रखा था जो विश्व में एक अप्रत्याशित रिकार्ड है। बंगलादेश से जब भी कोई नेता खासकर शेख हसीना जब भी भारत यात्रा पर आती है तो वह इंदिरा जी के योगदान का जिक्र करना नहीं भूलती हैं। उस समय विपक्ष के नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि वह दुर्गा का अवतार हैं लेकिन इस समय केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार श्रीमती गांधी और उनकी सरकार के योगदान को नकार रही है।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए हर लोकतांत्रिक देश की मदद की थी। उनकी इस बात का समर्थन करते हुए सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि अगर आज बंगलादेश अपना विजय दिवस मना रहा है तो यह सिर्फ कांग्रेस की वजह से ही है लेकिन इस दिन की याद में संसद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें विपक्ष के किसी भी नेता को नहीं बोलने दिया गया जो सत्ता पक्ष का वाकई एक निंदनीय कदम है।

उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री की असुरक्षा की भावना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पूरे कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक बार भी श्रीमती इंदिरा गांधी का जिक्र नहीं किया जबकि उस पूरे अभियान में उनकी भूमिका सबसे ज्यादा थी। यह एक तरह से देश के इतिहास को बदलने जैसा है।”

उन्होंने कहा कि हालांकि भारत के उस कदम का अमेरिका ने जोरदार विरोध किया था लेकिन वह किसी से नहीं डरी और इस युद्ध के बाद पाकिस्तान दो भागों में विभाजित हो गया था और विश्व का नक्शा बदल दिया गया था। लेकिन दुर्भाग्य से मौजूदा नेतृत्व इस मामले में घटिया और गंदी राजनीति कर रहा है।

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