बिहार: बीस साल में पूरा हो सका इस पार से उस पार जाने का सपना, सीएम नीतीश कुमार और नितिन गडकरी ने किया पुलों का उद्घाटन

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सीएम नीतीश कुमार और नितिन गडकरी
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26 जनवरी 2002 में मुंगेर-खगड़िया पुल की बुनियाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने रखी थी। इस पुल का नामकरण बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रोकृष्ण बाबू के नाम पर रखा गया है

द न्यूज 15 
पटना । आखिरकार भागलपुर के घोरघट और मुंगेर-खगड़िया पुल का सालों इंतजार के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकार्पण कर ही दिया। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने वर्चुअल तरीके से उद्घाटन करते हुए कहा कि पुल बनने से इलाके में खुशहाली, रोजगारी, और समुचित विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। उन्होंने केंद्र की मदद से बिहार में चल रहे 3 लाख करोड़ रुपए खर्च से राजमार्ग परियोजना की विस्तार से चर्चा की और वायदा किया कि भूअर्जन की समस्या पर बिहार सरकार ध्यान दे तो राज्य की सड़कें अगले पांच साल में अमेरिका के समान बना दी जाएंगी।
उन्होंने बिहार में चार ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे बनाने की बात भी कही। साथ ही कहा कि दो लाख करोड़ रुपए और खर्च करने की योजना है। इसके लिए उन्होंने बिहार के पथ परिवहन मंत्री को सड़क निर्माण के नए प्रस्ताव देने को कहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को दो सड़क पुल का उद्घाटन किया। एक भागलपुर ज़िले के घोरघट में और दूसरा मुंगेर -खगड़िया के बीच गंगा नदी पर बने सड़क-सह रेल पुल का। घोरघट पुल को बनाने में 16 साल लगे तो मुंगेर पुल के निर्माण कराने में बीस साल लगे।
मुख्यमंत्री ने मुंगेर की सभा में मौजूद लोगों से कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। आज हर घर में दीया जलाकर दिवाली मनाई जानी चाहिए। ठीक उसी तरह जब 26 जनवरी 2002 में मुंगेर-खगड़िया पुल की बुनियाद तबके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने रखी थी। इस पुल का नामकरण बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रोकृष्ण बाबू के नाम पर रखा गया है।
भागलपुर के सुलतानगंज के नजदीक घोरघट पुल 2006 में धंस गया था। इत्तफाक से उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सावन मेले का उद्घाटन करने सड़क मार्ग से सुलतानगंज आए थे। लेकिन पुल क्षतिग्रस्त होने की वजह से उन्हें लौटना पड़ा था। इस पुल पर 11.16 करोड़ रुपए खर्च हुए है।
इसी तरह मुंगेर-खगड़िया गंगा नदी पर बने सड़क सह रेल पुल के लिए इलाके की जनता को सालों इंतजार के बाद पुल पर चलने का सपना पूरा हो सका। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पुल बन जाने से मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय और आसपास के ज़िलों के लोगों की सुगम तरीके से आवाजाही हो पाएगी। रोजगार,पढ़ाई और तरक्की के अवसर मिलेंगे। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। मुंगेर से खगड़िया की दूरी एक सौ किलोमीटर और बेगूसराय की दूरी बीस किलोमीटर कम हो जाएंगी। 14.5 किलोमीटर लंबे एनएच 333 बी सड़क पुल के निर्माण पर कुल 696 करोड़ रुपए खर्च हुए है।
उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री पुल से बेगूसराय गए और वहां से हेलीकाप्टर से पटना गए। इस मौके पर मुंगेर के सांसद व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी, व इलाके के विधायक, विधान पार्षद मौजूद थे। वर्चुअल तरीके से केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी जुड़े।
उन्होंने कहा कि मुंगेर पुल पर कुल 3500 करोड़ रुपए खर्च हुए है। इसमें से रेलवे ने 1200 करोड़ खर्च किए है। उन्होंने बिहार में चल रही राजमार्ग परियोजनाओं को विस्तार से बताया। बोले कि भूमि अधिग्रहण में राज्य सरकार खास ध्यान दें तो पांच साल में बिहार की सड़कें अमेरिका जैसी बना दी जाएगी मुंगेर पुल बन जाने आवाजाही के साथ मालवाहक वाहनों का खर्च भी कम होगा। मुंगेर योग विश्वविद्यालय और आसपास के तीर्थ स्थल देखने सैलानी व पर्यटक आएंगे। पुल बनने के पहले मुंगेर के लोगों को खगड़िया या बेगूसराय जाने के लिए 75 किलोमीटर दूर भागलपुर के विक्रमशिला पुल पर निर्भर रहना पड़ता था। सावन में सुलतानगंज आकर कांवर में जलभर बाबा नगरी बैद्यनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अब दूरी कम तय करनी पड़ेगी। और सीधे सुलतानगंज पहुंच जाएंगे। खगड़िया से आने में तीन घंटे की बचत होगी।

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