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Bihar Politics : राजनीतिक युद्ध में लालू प्रसाद ने रचा नीतीश कुमार के लिए चक्रव्यूह 

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चरण सिंह राजपूत

बिहार में 12 तारीख को होने वाले राजनीतिक युद्ध के लिए लालू प्रसाद यादव ने एक चक्रव्यूह की रचना कर दी है। इस चक्रव्यूह के पहले द्वार पर विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को खड़ा किया गया है। दूसरे दरवाजे पर लालू प्रसाद ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को खड़ा किया है। तीसरे द्वार पर जीतन राम मांझी खड़े दिखाई देंगे तो चौथे द्वार पर चिराग पासवान को खड़ा किया गया है।

पांचवें द्वार पर गोपाल मंडल की मुस्तैदी की गई है। छठे पर भाई वीरेन्द्र को लगाया गया है। सातवें मोर्चे पर खुद लालू प्रसाद लठ लेकर खड़े हो गये हैं। इस चक्रव्यूह को नीतीश कुमार को भेदना है। पहली लड़ाई में नीतीश कुमार को अवध बिहारी चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाना है।  दूसरे दौर में जदयू विधायकों को तोड़ने में लगे भतीजे तेजस्वी यादव से निपटना है। तीसरे मोर्चे पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को मनाना है। चौथे चरण में नीतीश कुमार को चिराग पासवान के लालू प्रसाद की ओर बढ़ते कदम को रोकना है। पांचवें द्वार पर खुलेआम बगावत करने वाले गोपाल मंडल से निपटना है। छठे द्वार पर लालू के सिपहसालार भाई वीरेंद्र को परास्त करना होगा। सातवें द्वार पर खुद लालू प्रसाद के वार से बचना है।

भले ही नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो गये हों, भले ही उन्होंने फिर से अपनी सरकार बना ली हो, भले ही लालू प्रसाद के परिवार पर जेल जाने की तलवार लटकी हो पर नीतीश कुमार को अपनी सरकार गिरने का खौफ सता रहा है। एक ओर जहां अवध बिहारी चौधरी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है वहीं जदयू और बीजेपी के भी कई विधायकों के टूटने की बात सामने आ रही है। ऊपर से जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बदले सुर लालू प्रसाद का साथ देते दिखाई दे रहे हैं। 12 तारीख को न केवल नीतीश कुमार को विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को हटाना है, बल्कि बहुमत भी सिद्ध करना है।

देखने की बात यह भी है कि तेजस्वी यादव की पत्नी के 16-17 विधायक राजद के साथ होने का दावे ने नीतीश कुमार की नींद उड़ा रखी है। उधर बीजेपी के भी तीन विधायकों के टूटने की खबर मार्केट में तैर रही है। हालांकि कांग्रेस के भी तीन विधायकों के गायब होने बात सामने आ रही है। राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने दावा किया है कि 12 तारीख को खेला होगा। ठंड ने भले ही पारा गिरा रखा हो पर बिहार की राजनीति ने माहौल को गरमा दिया है। इंडिया गठबंधन बनाकर पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने का दंभ भरने वाले नीतीश कुमार बीजेपी की गोद में जा बैठे हैं। जो लालू प्रसाद नीतीश कुमार के साथ मिलकर पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने चले थे, उन्हें अब पहले नीतीश कुमार से जूझना है। पीएम मोदी से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है।

 

लैंड फोर जॉब मामले में न केवल लालू प्रसाद और उनका बेटा तेजस्वी यादव बल्कि उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा के भी जेल जाने की नौबत आ गई है। लालू प्रसाद के परिवार पर ईडी ने पूरी तरह से शिकंजा जो कस दिया है। 29 जनवरी को लालू प्रसाद तो 30 जनवरी को तेजस्वी यादव से ईडी ने पूछताछ की है। 9 फरवरी को दिल्ली ईडी ऑफिस में राबड़ी देवी और मीसा देवी की पेशी हुई है। ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद के सामने करो या मरो की स्थिति है।

बीजेपी और जदयू भी लालू प्रसाद को सबक सिखाने में लग गये हैं। दोनों ओर से शह मात का खेल खेला जा रहा है। लालू प्रसाद नीतीश कुमार की सरकार गिराने में लगे हैं तो नीतीश कुमार लालू प्रसाद को पूरी तरह से चित्त करने मे लग गये हैं। बिहार में पीएम मोदी ने ऐसा खेल खेला है कि जो धुरंधर उन्हें पटखनी देने की रणनीति बना रहे थे। अब वे आपस में ही लड़ रहे हैं। मतलब गुजरात के दो दिग्गजों ने बिहार के दो भाईयों को आपस में उलझा दिया है।

वाह रे नीतीश कुमार बड़े भाई के साथ मिलकर चले थे मोदी को पटखनी देने। अब मोदी ने ऐसा दांव चला कि जहां छोटा भाई बड़े भाई को ठेंगा दिखाकर मोदी की शरण में जाने के लिए मजबूर हो गया वहीं अब बड़ा भाई छोटे भाई को पटखनी देने में लगा है। मतलब बिहार की राजनीति पर गुजरात की सियासत हावी है। आज के राजनीतिक युद्ध में पीएम मोदी श्रीकृष्ण की भूमिका में नजर आ रहे हैं। अब नीतीश कुमार को देखना होगा वह अभिमन्यू साबित होते हैं या फिर अर्जुन।