बिहार: एक बंद बंगले में गलत काम, एक साथ मिले 80 नौजवान

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 पूरा माजरा जान आप भी हैरान रह जाएंगे

 नालन्दा। बिहार पुलिस की एक टीम ने जब एक बंद मकान में छापा मारा तो वहां एक दो नहीं बल्कि 79 नौजवान मिले। एकबारगी मौके पर मौजूद लोगों की आंखें भी फटी रह गईं। दरअसल पुलिस को पहले दो नौजवानों के बारे में खबर मिली थी। लेकिन मकान में माजरा कुछ और ही था। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
राजगीर पुलिस ने ठगी के बाद युवाओं को फर्जी कंपनी में बंधक बनाने के एक बड़े खेल का पर्दाफाश किया है। राजगीर में फर्जी दवा कंपनी में नौकरी दिलाने के नाम पर गोरखधंधा चल रहा था। छापेमारी कर पुलिस ने अलग-अलग जिलों के 79 युवाओं को मुक्त कराया है। सुपौल जिला निवासी दो युवकों के पिता की शिकायत पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
इन्हें दवा कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर राजगीर बुलाया गया। इसके बदले उनसे हजारों रुपये लिये गये। उसके बाद ट्रेनिंग के नाम पर भी उनसे रुपये वसूले गये। जिन युवाओं ने यहां से निकलने का प्रयास किया, उन्हें बंधक बना लिया गया। दो आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस गिरोह के सरगना का पता लगाने में जुट गयी है।
पुलिस ने बताया कि राजगीर में नामी दवा कंपनी के नाम के पर वर्षो से फर्जी कंपनी का ऑफिस चल रहा था। आरोप है कि कंपनी दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्र के युवक-युवतियों को दवा कंपनी में काम दिलाने का झांसा दे रही थी। लेकिन वास्तव में ऐसी कोई कंपनी है ही नहीं। दरअसल युवाओं को ठगने के लिए दवा कंपनी का दिखावा किया जा रहा था। स्थानीय लोगों की माने तो राजगीर में यह गोरखधंधा सालों से चल रहा है और कई गिरोह इसमें शामिल हैं।
राजगीर डीएसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि सुपौल जिला के दुधौली थाना क्षेत्र के निर्मली गांव निवासी रामप्रसाद पंडित ने आरोप लगाया कि उनके दो पुत्रों सत्येन्द्र पंडित और पांडव पंडित को कुछ लोगों ने दवा कंपनी में काम दिलाने के नाम पर राजगीर बुलाया था। राजगीर आने पर उन्हें बंधक बना लिया गया। शिकायत मिलते ही कंपनी के ठिकाने पर छापेमारी की गयी। यहां से दो आरोपितों वीरेन्द्र कुमार और रामनाथ कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके चंगुल में फंसे 79 युवाओं को भी छुड़ा लिया गया। छापेमारी टीम में थानाध्यक्ष रमण कुमार, नीरज कुमार, काजल कुमारी, भानू प्रताप, मो. सरफराज आदि शामिल थे।
छुड़ाए गए युवकों ने बताया कि पहले उनसे 15 से 20 हजार रुपये जमा कराए गए थे। उसके बाद छह माह की ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया। ट्रेनिंग के नाम पर हर महीने पांच हजार रुपया और खाने-पीने और रहने का खर्च जा रहा था। युवकों के मुताबिक एक बार जो यहां फंस जाता है, उसे वापस नहीं जाने दिया जाता है। उस पर अन्य युवकों को यहां बुलाने का दबाव दिया जाता है। जिसने वापस जाने का प्रयास किया, उसे बंधक बना लिया गया।

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