Bharat jodo Yatra : तो क्या कांग्रेस के खिलाफ जाएगी राहुल गांधी की पदयात्रा ?

0
188
Spread the love

Bharat jodo Yatra : बद्री नारायण तिवारी, निदेशक गोविन्द बल्लभ पंत समाज अध्ययन संस्थान का समाजशास्त्र या संघशास्त्र??

 

कभी राहुल गांधी को ‘ फकीर ‘ घोषित करने वाले प्रो बद्रीनारायण तिवारी ने ‘फकीर’ बदल लिया है और उनका समाजशास्त्र आजकल संबित पात्रा के तर्कों में पनाह ढूंढ रहा है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तब बद्रीनारायण के समाजशास्त्र के मुताबिक, जनता राहुल गांधी को फकीर मान रही थी क्योंकि वे यात्रा कर रहे थे। लेकिन आज वही राहुल गांधी यात्रा कर रहे हैं तो वह कांग्रेस के खिलाफ जाएगी। ऐसा तिवारी जी का मानना है।

इंडियन एक्सप्रेस में उन्होंने लगभग धमकी के अंदाज में एक लेख लिखकर कहा है कि राहुल गांधी और कांग्रेस को यात्रा नहीं निकालनी चाहिए। ऐसा करके कांग्रेस आग से खेलेगी। कांग्रेस आरएसएस पर अटैक करेगी तो फ्लोटिंग जनता भाजपा की तरफ चली जाएगी। उनका तर्क है कि अगर कांग्रेस आरएसएस पर तीखा हमला करती है, जिसे वे ‘ वायलेंट ‘ प्रतिवाद मानते हैं तो ‘भारतीय मन’ इसे स्वीकार नहीं करेगा।

बद्रीनारायण का सरकारी समाजशास्त्र यह मान चुका है कि ‘भारतीय मन’ अब शांति, सत्य, अहिंसा, प्रेम और उदारता जैसे मानवीय मूल्यों को नहीं स्वीकार करेगा। अब वह नफरत और हिंसा ही पसंद कर रहा है। वे यह भी मान चुके हैं कि संघ परिवार की ‘ वायलेंट ‘ राजनीति ही अब ‘भारतीय मन’ की पहली और आखिरी पसंद है।

कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया पर शेयर एक ग्राफिक के बहाने उन्होंने यह लेख लिखा है। उस ग्राफिक का संदर्भ ये था कि भाजपा आधिकारिक रूप से राहुल गांधी की यात्रा के बारे में झूठ फैला रही थी। कांग्रेस ने ग्राफिक के जरिये तंज किया कि जलन के मारे संघियों के हाफ पैंट में आग लगी है। इसे संबित पात्रा ने हिंसा से जोड़ा और आरोप लगाया कि राहुल गांधी दंगा कराना चाहते हैं। आग और जलन का मतलब सिर्फ हिंसा होता है। प्रोफेसर साब ने वही तर्क उठाया और समाजशास्त्र का सरकारी जामा पहना दिया।

जब राहुल गांधी के पास सत्ता थी, तब बद्री जी उनकी तारीफ कर रहे थे क्योंकि उन्हें सत्ता के नजदीक रहकर अपनी हनक कायम करनी थी। तब उन्हें राहुल गांधी की टीम में शामिल होने का स्वांग करना था। ऐसा करके वे दिखाना चाहते थे कि ज्यां द्रेज़ और अमर्त्य सेन के बाद वही ऐसे बुद्धिजीवी हैं जिनकी सरकार में बहुत पूछ है। उनके बुलाने पर राहुल गांधी दो बार पंत संस्थान गए भी थे।

जिस मैथड से कभी वे राहुल गांधी की तारीफ कर रहे थे, आज उसी मैथड से, उसी जगह, उसी समुदाय के बीच कथित रिसर्च करके संघ की प्रशंसा कर रहे हैं।

तिवारी जी जब जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी में थे, तब संघ के ख़िलाफ़ खूब लिखा-बोला। नतीजतन गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रदीप भार्गव ने तिवारी जी को जेएनयू से इस्तीफा दिलाया और पंत संस्थान का डायरेक्टर बनाने की कवायद शुरू की। इंटरव्यू की डेट फिक्स हो गयी और निश्चित हुआ कि वे डायरेक्टर बन जायेंगे तो संघ के लोगों ने कड़ा एतराज कर दिया।

कुछ समय बाद फिर से डायरेक्टर का विज्ञापन निकाला गया। तिवारी जी का हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने द हिंदू में लेख लिखकर संघ की प्रशंसा की। उनके समाजशास्त्र ने पाया कि संघ ही असली समावेशी राजनीति करता है। इसके बाद इंटरव्यू हुआ और वे डायरेक्टर बन गए।

अब कोई हफ्ता नहीं गुजरता जब इनका समाजशास्त्र संघ की तारीफ में कसीदे ना पढ़ता हो। वही संघ जो इनके दूसरे साथियों को अर्बन नक्सल बताता है। इस प्रशस्तिगान के क्रम में इन्होंने दिसंबर 2021 में अपना कार्यकाल भी बढ़वा लिया । बद्रीनारायण का समाजशास्त्र बार-बार पाला क्यों बदलता है? क्योंकि वे लालची और सत्ता लोभी हैं। धन, पद-प्रतिष्ठा की चाहत है, वाइस चांसलर बनना चाहते हैं। काफी गुणा-गणित से चलते हैं। पद के लिए कांग्रेस के प्रशंसक थे, पद के लिए संघ के प्रशंसक हैं। कल को कांग्रेस सरकार आ जाएगी तो अपना पुराना वाला लेख आगे कर देंगे कि देखो, हम तो आपके ही हैं।

राजनीति करना बुरा नहीं है। बस खुलकर करनी चाहिए। बुद्धिजीवी होने का चोला ओढ़कर छात्रों और बुद्धिजीवी वर्ग के साथ छल नहीं करना चाहिए। बेहतर हो कि प्रो बद्रीनारायण तिवारी खुलकर शाखा लगाने लगें।
कृष्णा कांत, पत्रकार के फेसबुक वाल से

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here