Rahul Gandhi, Bharat Jodo Yatra: दिल्ली के ‘मरघट वाले हनुमान मंदिर’ को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं। गांधी परिवार यहां पहले भी आता रहा है, कश्मीरी गेट के जमुना बाजार इलाके में स्थित मंदिर का इतिहास काफी पुराना है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (Bharat Jodo Yatra) 9 दिनों के ब्रेक के बाद फिर से शुरू हो गई है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर पहुंचे। यहां दर्शन पूजन और हनुमान चालीसा के पाठ के बाद यात्रा शुरुआत की। गांधी परिवार का मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर से पुराना नाता रहा है और इस मंदिर पर गहरी आस्था है।
साल 1973 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) पहली बार मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर पहुंची थीं। आगे भी सिलसिला बरकरार रहा। राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) और उनके चाचा संजय गांधी (Sanjay Gandhi) भी यहां आते रहे हैं।
कैसे पड़ा मंदिर का नाम?
मरघट वाले हनुमान जी का मंदिर (Marghat Wale Baba Mandir) कश्मीरी गेट के जमुना बाजार इलाके में स्थित है। तमाम लोग इस मंदिर को मरघट वाले बाबा के नाम से भी पुकारते हैं। कभी इस मंदिर के ठीक किनारे से यमुना नदी बहा करती थी, लेकिन धीरे-धीरे यमुना का पानी घटता चला गया और नदी, मंदिर से दूर हो गई। हालांकि अब भी जब कभी यमुना में बाढ़ आती है, तो कई बार यमुना का पानी मंदिर के दरवाजे तक आ जाता है। मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर में बजरंगबली की प्रतिमा जमीन तल से करीब 8 फीट नीचे है।
मंदिर के सामने आज भी है श्मशान घाट
मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर (Marghat Wale Hanuman Ji Ka Mandir) के ठीक सामने श्मशान घाट है, जहां आज भी शवों का दाह-संस्कार किया जाता है। बताया जाता है कि यह श्मशान रामायण काल का है। श्मशान की वजह से ही इस मंदिर का नाम मरघट वाले हनुमान जी का मंदिर पड़ा।
मंदिर को लेकर क्या हैं मान्यताएं?
मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर को लेकर कई तरह की प्राचीन और पौराणिक मान्यताएं हैं। मंदिर के पुजारी दावा करते हैं कि यहां स्वयं हनुमान जी प्रकट हुए थे। सबसे पौराणिक और प्राचीन दावा रामायण (Ramayan) और महाभारत काल (Mahabharat Period) से जुड़ा बताया जाता। कहा जाता है कि मरघट वाले हनुमान जी का मंदिर उन पांच मंदिरों में से एक है जिन्हें महाभारत काल के दौरान पांडवों ने बनवाया था।
रामायण काल से जुड़ा है एक किस्सा
एक अन्य पौराणिक मान्यता है कि युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण मूर्छित हुए तो हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने इसी रास्ते से गए थे। उन्होंने यहीं रुक कर विश्राम किया था। धीरे-धीरे इस मंदिर की ख्याति बढ़ती चलती गई। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। तमाम राजनेता से लेकर फिल्मी हस्तियां भी अक्सर यहां आया करती हैं।