विश्व पटल पर आपसे, बढ़ा देश का मान।
संत विवेकानंद है, भारत का अभिमान।।
सन्त विवेकानन्द नें, दी अद्भुत पहचान।
भाव पुष्प उर में सजा, करूँ सदा गुणगान।।
जाकर देश विदेश में , दिया यही संदेश।
धर्म, कर्म अध्यात्म का, मेरा भारत देश।।
अखिल विश्व में है किया, हिंदी का उत्कर्ष।
हिंदी भाषा श्रेष्ठ है, है गौरव, है हर्ष।।
श्रेष्ठ हमारी सभ्यता, है संस्कृति महान।
श्रेष्ठ हमारे आचरण, श्रेष्ठ हमारा ज्ञान।।
लक्ष्य प्राप्ति हित अनवरत, करो सदा संघर्ष।
युवा शक्ति हो संघटित, खूब करे उत्कर्ष ।।
आलोकित पथ को करे, भाव भरे अनमोल।
नमन विवेकानंद को, करे सभी दिल खोल।।
परम हंस से सीखकर, बने विवेकानंद।
सौरभ मन सुरभित रहे, खिले हृदय मकरंद।।
-डॉ सत्यवान सौरभ