देश के समरसता रहित हालात पर दुखी होते बाबू जी : पुष्पा सिंह विसेन 

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पुष्पा सिंह विसेन 
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नारायणी साहित्य अकादमी ने नामवर सिंह की पुण्यतिथि मनाई

कार्यक्रम की मुख्य अथिति सविता चढ्डा, मुख्य वक्ता प्रेम भारद्वाज और विशिष्ट अतिथि डॉ. कल्पना थीं  

द न्यूज 15 

नई दिल्ली/गाजियाबाद। नारायणी साहित्य अकादमी के  वसुंधरा,  गाजियाबाद स्थित उत्तर प्रदेश के कार्यालय में अकादमी के संस्थापक प्रोफेसर नामवर सिंह  की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार सविता चढ्ढा की उपस्थित रहीं। मुख्य वक्ता वरिष्ठ कवि प्रेम भारद्वाज एवं मुख्य वक्ता डा. राजेश ओझा  की गरिमा मयी उपस्थिति रही।  दूसरे अतिथि साहित्यकार, कवि एवं गजलकार में, जामिया के भाषा अधिकारी डा. राजेश मांझी, वरिष्ठ गीतकार जगदीश मीणा, कवयित्री डा. पुष्पा जोशी, वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि जनार्दन यादव, शिक्षाविद नीलम अरोड़ा आदि ने अपने वक्तव्य एवं काव्य पाठ द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नामवर सिंह को याद किया। अकादमी की सलाहकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार डा. रेनू सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। अकादमी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. पुष्प सिंह विसेन  ने  नामवर सिंह को याद करते हुए आज के सामयिक समस्याओं के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा कि आज अगर बाबूजी होते तो देश के समरसता रहित हालात पर बहुत ही दुखी होते। उन्होंने  नामवर जी के सानिध्य में अपने बीते हुए समय को याद करते हुए बताया कि किसी भी समस्या का हल आज भी उन्हें बाबूजी के द्वारा मिलता रहा है। नामवर सिंह सदैव प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। विशिष्ट अतिथि के रुप में डा. कल्पना ने अपनी रचना द्वारा सभी को भाव विभोर किया। सभी अतिथियों का स्वागत अकादमी की तरफ से सभी अतिथि गणों का स्वागत और सम्मान किया गया।  अकादमी के कोषाध्यक्ष मोहम्मद इलियास ने भी अपनी यादों को साझा किया  और सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम में पधारे अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमी की अध्यक्षा पुष्पा विसेन ने उनका आभार व्यक्त किया।

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