हैदराबाद| तेलंगाना से सेना का एक जवान 6 दिसंबर को पंजाब के फरीदकोट की यात्रा के दौरान लापता हो गया, जिसका पता नहीं चला है। सिद्दीपेट जिले के बी.साईं किरण रेड्डी, जो दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से पातालकोट एक्सप्रेस में सवार हुए थे, रास्ते में लापता हो गए। सेना के अधिकारियों ने उसके परिवार को यह भी बताया कि वह फरीदकोट में ड्यूटी पर नहीं आया है।
मामले की जांच कर रहे सिद्दीपेट के पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने पाया कि 21 वर्षीय जवान फरीदकोट के बजाय बठिंडा में उतर गया और एक कार में चढ़ गया। रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को खंगालने वाली टीम उसका पता लगाने की कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि वह दिल्ली लौट आया है।
उसका मोबाइल फोन आखिरी बार हरियाणा के रोहतक शहर के पास सांपला के पास दोपहर करीब 1.30 बजे सक्रिय हुआ था। 6 दिसंबर को मामला रहस्यमय हो गया, क्योंकि पुलिस ने यह भी पाया कि 6 दिसंबर की रात दिल्ली के कनॉट प्लेस में उसके एटीएम कार्ड से नकदी निकाली गई थी।
इससे पहले कार्ड का इस्तेमाल बठिंडा के एक ढाबे पर पैसे देने के लिए भी किया गया था। पुलिस जांच में पता चला कि रेड्डी के बैंक खाते से पूरे 19,000 रुपये उसी दिन निकाल लिए गए थे।
दिल्ली में मौजूद पुलिस टीम को शक है कि जवान ने दिल्ली में एक और मोबाइल फोन खरीदा था। जांचकर्ता सीसीटीवी फुटेज समेत कई सुरागों पर काम कर रहे हैं।
सिद्दीपेट में चेरियाल थाना क्षेत्र के पोथिरेड्डीपल्ली गांव का निवासी रेड्डी 17 नवंबर को छुट्टी पर घर आया था और उसे 6 दिसंबर को ड्यूटी पर जाना था।
जैसे ही वह अपनी यूनिट में नहीं पहुंचा, सेना के एक अधिकारी ने उसके मोबाइल फोन पर उससे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल बंद था। इसके बाद उन्होंने रेड्डी के पिता पाटेक रेड्डी को फोन किया, जिन्होंने उन्हें सूचित किया कि उनका बेटा 5 दिसंबर को घर से निकल गया और यहां तक कि हैदराबाद हवाईअड्डे पर दिल्ली की उड़ान में सवार होने से पहले उसने एक व्हाट्सएप कॉल भी किया था।
किसी भी स्रोत से उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं होने पर उसके माता-पिता ने चेरियाल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर तीन टीमें गठित कर जांच शुरू कर दी है। एक टीम दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।
रेड्डी के परिवार ने कहा कि उनके बेटे का भगोड़ा बनने का कोई इरादा नहीं था। 16 महीने की ट्रेनिंग के बाद छह महीने पहले वह फरीदकोट में गनर के पद पर तैनात था।
उन्होंने कहा कि वह इस अवधि के दौरान तीन बार छुट्टी पर घर आया और उसने कभी कोई संकेत नहीं दिखाया कि उसे सेना की ड्यूटी में कोई दिलचस्पी नहीं है।
परिवार के मुताबिक, पढ़ाई बंद करने के बाद वह खुद सेना में भर्ती हुआ था। उसने एक डिग्री कॉलेज में दाखिला लिया था, लेकिन सेना की नौकरी के लिए योग्य होने के कारण उसने पढ़ाई बंद कर दी थी।