Amar Singh Rathore ki Kahani : अमर सिंह के साले अर्जुन सिंह गौड़ ने धोखे से मार दिया था अमर सिंह को
देश में ऐसे कितने वीर नायक हुए हैं, जिनका वर्णन इतिहास में न के बराबर हैं। इन नायकों एक थे अमर सिंह राठौड़। अमर सिंह राठौड़ की वीरता की कहानी (Amar Singh Rathore ki Kahani) नाटकों, फिल्मों और लोकगीतों में देखने को मिलती है। पृथ्वीराज चौहान फिल्म आने के के बाद एक अच्छी बात यह हुई है कि देश के वीरों के बारे में जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया में एक बड़ा अभियान छिड़ चुका है।
इस अभियान से कम से कम इतना फायदा जरूर हो रहा है कि नई पीढ़ी को देश के वीरों के बारे में जानकारी मिल मिल रही है। आज की तारीख में जिस तरह से नई पीढ़ी में नीरसता का एक भाव पैदा हो रहा है ऐसे में देश के वीरों की कहानियां युवा पीढ़ी में एक नई ऊजा का संचार कर सकती है। इन्हीं वीरों में में एक ऐसे महायौद्धा हुए हैं, जिन्हें स्वाभिमान और वीरता का प्रतीक माना जाता है। बात मुगल शासक शाहजहां के सेनापति अमर सिंह राठौड़ (Amar Singh Rathore ki Kahani) की हो रही है।
Amar Singh Rathore History in Hindi
बताया जाता है कि राजस्थान माड़वाड़ क्षेत्र के राजा गज सिंह का राज्य मुग़ल शासक शाहजहां के अधीन था। राजा गज सिंह के बेटे अमर सिंह राठौड़ एक देशभक्त और महान योद्धा हुए। एक बार अमर सिंह ने मुगलों से एक डाकू को बचा लिया तो उनके पिता ने उन्हें राज्य से निर्वासित कर दिया था।
अमर सिंह राठौड़ (Amar Singh Rathore History in Hindi) मुग़ल बादशाह शाहजहां के सिपेहसालार बन गए। शाहजहां अमर सिंह की वीरता से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें नागौर का जागीरदार बना दिया। शाहजहां के साले सलामत खां शाहजहां द्वारा की जाने वाली अमर सिंह की तारीफ से बहुत जलता था। वह अमर सिंह को बदनाम कर करने का मौका ढूंढता रहता था। सलामत खां को यह मौका मिल भी गया।
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दरअसल जब अमर सिंह हाडा रानी से गौना करने गए तो जितने दिन की छुट्टी लेकर गए थे, उससे अधिक दिन की छुट्टी ले ली और सूचना भी नहीं दी। जब इस बात का पता सलामत खां को लगा तो उसने बात का बतंगड़ बना दिया। सलामत खां ने मामले को इतना बढ़ा दिया कि अमर सिंह को सजा दी जा सके। शाहजहां ने सलामत खां को अमर सिंह को सजा देने के लिए अधिकृत कर दिया। सलामत खां अमर सिंह को धमकाकर अर्थ दंड देने को कहा। (Amar Singh Rathore History in Hindi) साथ ही सलामत खां ने यह भी चेतावनी भी दे दी कि वह अमर सिंह राठौड़ से अर्थ दंड लिए बिना जाने नहीं देगा।
Amar Singh Rathore ki Kahani मै बताया जाता है कि सलामत खां की बातों से आक्रोशित होकर अमर सिंह ने अपनी तलवार निकाली सलामत खां को मौत के घाट उतार दिया। यह देखकर शाहजहां भी घबरा गए और उन्होंने अपने सैनिकों को हुक्म दे दिया कि वे अमर सिंह को मार गिराएं , अमर सिंह ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए उन पर हमला करने वाले सभी सैनिकों को मार गिराया। बताया जाता है कि अमर सिंह ने घोड़े पर सवार होकर किले से छलांग लगा दी और सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए।
जब अमर सिंह किले में घमासान मचाकर चले गए तो अगले दिन शाहजहां ने दरबार में घोषणा कर दी कि अमर सिंह को मारने वाले को नागौर का जागीरदार बना दिया जाएगा। अमर सिंह की बहादुरी से कोई दुश्मनी नहीं लेना चाहता था। अमर सिंह का एक साला था। उसका नाम अर्जुन गौड़ था।
शाहजहां ने उसे लालच दिया और यह कहकर की बादशाह आप जैसे योद्धा को खोना नहीं चाहते हैं। उन्हें अपनी गलती का एहसास है। इसलिए उन्होंने आपको बुलाया है कहकर अमर सिंह को बुलाने के लिए भेज दिया। हालांकि शुरुआत में अमर सिंह को बादशाह पर विश्वास नहीं हुआ पर बाद में वह अर्जुन सिंह राठौड़ को अपना रिश्तेदार समझ उसके षड्यंत्र में आ गए।
बताया जाता है कि एक षड्यंत्र के अनुसार शाहजहां ने अर्जुन सिंह गौड़ से अमर सिंह राठौड़ से अलग में मिलने की बात कर दरबार के सामने बनी खिड़की से लाने के लिए कहा था। शाहजहां जानते थे कि अमर सिंह झुकने की वजह से पैरों के रास्ते दरबार में घुसेंगे और तभी उन्होंने अर्जुन सिंह से अमर सिंह पर वार करने को कहा था।
बताया जाता है कि अमर सिंह की बहादुरी देखकर एक उत्सुक फ़क़ीर ने शाहजहां से पूछा था कि इतने सारे योद्धाओं वाले हिन्दुस्तान को आप कैसे जीत सकते हैं ? फ़क़ीर के जवाब में शाहजहां ने जवाब दिया था कि रुको और देखो कि कैसे जीतेंगे ?
जब अर्जुन सिंह गौड़ अमर सिंह को लेकर आये और उस खिड़की से ले जाने की बात करने लगे शाहजहां के सामने झुकने की वजह से उन्होंने उस खिड़की से जाने से इंकार कर दिया। षड्यंत्र के अनुसार अर्जुन सिंह गौड़ ने अमर सिंह राठौर को सिर बाहर कर दरवाजे में घुसने को कहा।
अमर सिंह अर्जुन सिंह कर का षड्यंत्र समझ न सके। उन्होंने अर्जुन सिंह गौड़ की सलाह मान ली। जैसे ही अमर सिंह ने सर खिड़की से बाहर कर पैरों को दूसरी और बढ़ाया तो तभी षड्यंत्र के अनुसार अर्जुन सिंह गौड़ ने अमर सिंह की छाती में खंजर घौंप दिया।
जब अमर सिंह राठौर वीर गति को प्राप्त हो गए तो अर्जुन सिंह गौड़ ने अमर सिंह का सिर काट लिया और उसे शाहजहां के दरबार में ले गया। अमर सिंह के सिर को देखकर शाहजहां ने फ़क़ीर की ओर इशारा किया और कहा कि अब तो तुम्हें पता चल गया होगा कि हमने योद्धाओं से कैसे छुटकारा पा लिया। बताया जाता है कि बाद में शाहजहां ने अर्जुन सिंह को यह कहकर मार दिया कि जब तुम अपने के नहीं हुए तो हमारे किए होंगे ?
बताया जाता है कि अमर सिंह की वीरगति की सूचना पाकर अमर सिंह की पत्नी हाड़ा रानी ने अमर सिंह के दोस्त नरशेबाज पठान को इस बात की सूचना भेजी। बताया जाता है कि जब अमर सिंह गौना करके अपनी पत्नी हाड़ा रानी के साथ अपने घर लौट रहे थे तो रास्ते में नरशे बाज पठान मिले थे। प्यास लगने पर उन्होंने इन लोगों से पानी मांगा था तब अमर सिंह ने नरशे बाज पठान को एक लौटा पानी पिलाया था।
अमर सिंह को अपना मानते हुए नरशे बाज पठान ने जरुरत पड़ने पर याद करने को कहा था। बताया जाता है कि सूचना पाकर तुरंत नरशे बाज पठान शाहजहां से युद्ध करने के लिए तैयार हो गए थे। नरशे बाज पठान, अमर सिंह का भतीजा राम सिंह और बल्लू जी चंपावत के नेतृत्व में राजपूत सैनिकों ने किले पर उस जगह धावा बोल दिया, जहां अमर सिंह का मृत शरीर पड़ा था। (Amar Singh Rathore History in Hindi) बताया जाता है कि इन वीरों ने अमर सिंह का मृत शरीर तो हाड़ा रानी के पास पहुंचा दिया था पर ये तीनों वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
बताया जाता है कि बाद में शाहजहां ने यह खिड़की यानि कि संकीर्ण दरवाजा बंद करा दिया था। एक अंग्रेज अधिकारी ने अमर सिंह की बहादुरी की दास्तां सुनकर इस दरवाजे को न केवल खुलवाया बल्कि इस दरवाजे का नाम अमर सिंह दरवाजा भी रखवाया। लोग अब इस दरवाजे को अमर सिंह दरवाजे के नाम जानते हैं। (Amar Singh Rathore ki Kahani) कुछ इतिहासकारों का यह कहना है कि क्योंकि इस दरवाजे से अमर सिंह सलावत खां को मारकर शाहजहां के दरबार में घमाशान मचाकर निकले थे। इसलिए यह दरवाजा राजपूतों के हाथों हार की याद दिलाता था। इसलिए शाहजहां ने इसे बंद करा दिया था।
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नागौर जिले में अमर सिंह राठौड़ की 16 खम्बों की छतरी बताई जाती है।
अमर सिंह राठौड़ को कटार का धनी कहा जाता है। आज भी आगरा के लिए में आने वाले पर्यटकों के लिए मुख्य द्वार अमर सिंह द्वार ही है। अमर सिंह को इतिहास में असाधारण शक्ति, इच्छा और स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है। वह अपने फैसले लेने में सक्षम थे। अमर सिंह राठौर वीरगति को प्राप्त हुए। बल्लू जी चंपावत की बहादुरी अभी भी राजस्थान में लोकगीतों में सुनने को मिलती है।
Amar Singh Rathore Nautanki
गांवों और देहातों में अमर सिंह राठौड़ की नौटंकी भी खूब सुनने को मिलती है। नौटंकी के माध्यम से अमर सिंह राठौड़ और राम सिंह की वीरता की कहानी सुनाई जाती है। 1970 में अमर सिंह की बहादुरी पर वीर अमर सिंह राठौड़ नामक एक फिल्म भी बनी थी। इस फिल्म (Amar Singh Rathore Nautanki) का निर्देशन राधाकांत ने किया था। इस फिल्म में देवकुमार, कुमकुम, जब्बा रहमान थे। अमर सिंह राठौड़ पर आधारित एक फिल्म गुजराती में भी बनी है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में गुजराती सुपर स्टार उपेंद्र त्रिवेदी थे।
अमर सिंह राठौड़ की वीरता का लोहा शाहजहां मानते थे। बताया जाता है कि जब अर्जुन सिंह गौड़ू ने अमर सिंह को मार दिया और उनका सिर लेकर शाहजहां के दरबार में पहुंचा तो शाहजहां को अपना सेनापति खोने का एहसास हुआ था। अर्जुन सिंह गौड़ पर इतने आक्रोशित हो गये थे कि तत्कालन उन्होंने अर्जुन सिंह गौड़ को मार दिया था। (Amar Singh Rathore ki Kahani) अमर सिंह अपनी कटार हमेशा अपने पास रखते थे। कई नाटकों में ऐसा भी वर्णन है कि अमर सिंह ने मरते वक्त अर्जुन सिंह गौड़ की नाक काट अपनी कटार से काट दी थी।
-चरण सिंह राजपूत
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