पृथ्वीराज चौहान ने बसाया था उपजाऊ क्षेत्र में
खुद पर गर्व करने के लिये अपने इतिहास को जानना अति आवश्यक है। अलाउद्दीन खिलजी ने राजपूत राज्यों को खत्म करने की कोशिश की और रवा राजपूतों ने अलाउद्दीन खिलजी को ही समाप्त कर दिया। रवा राजपूतों का आगमन 12 वीं शताब्दी में हुआ। सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने स्ट्रेटेजिक तौर पर रवा राजपूतों को उपजाऊ क्षेत्र में बसाया और मजबूती प्रदान की।
रवा राजपूत अपने राजवंशों को ही भूल बैठे हैं। रवा राजपूतों में 10 राजवंशों से आते हैं। कच्छवाहे पंवार सोलंकी जादौन राठौर डाभी चौहान रोहिला गहलोत और तोमर। जादौन और तोमर यहां पहले से ही बाशिंदे थे बाकी राजवंशों के सरदार यहां पर बसाये गए। यह सारा कार्य सम्राट पृथ्वीराज चौहान के सामरिक योजना का हिस्सा थे।
राव और रावत सरदारों ने मिलकर परावा सैनिक दल बनाया जिसका शाब्दिक अर्थ होता है अलौकिक धार। यह सब अलाउद्दीन खिलजी से राजपूतों के ऊपर ढाए गए जुल्म का बदला लेने के लिए किया। यही शब्द कालांतर में पारवा बना और रवा में परिवर्तित हुआ।
राव राजा के छोटे भाई की जन्मजात उपाधि होती है और रावत राजा के बड़े भाई की उपाधि राज सिंहासन छोटे भाई को सौंपने के बाद की उपाधि। अपने भारत के इतिहास में बड़ा महत्वपूर्ण कार्य किया परंतु आप ने स्वयं को उच्चतर मानते हुए अपने खून को प्योर रखने के लिये आपस में ही शादी करना उपयुक्त समझा और परिणाम स्वरूप आपका यह दल छोटे से एरिया में सिमट कर रह गया। रवा राजपूतों ने महान कार्य किए हैं फिर भी दबे हुए हैं। रवा राजपूतों को अपना इतिहास याद करते हुए हर क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।