चुनाव पर असर डालेगा टिकटों का बार-बार बदलना
पिता जैसे पकड़ नहीं नहीं बना पाए हैं कार्यकर्ताओं पर
मुलायम ने 1992 में पार्टी बना 1996 के लोकसभा चुनाव में जीत ली थी 17 लोकसभा सीटें
अपने मुख्यमंत्री काल 2004 में मुलायम सिंह ने जीती थी 36 लोकसभा सीटें
अखिलेश यादव अपने मुख्यमंत्री काल 2014 में जीत पाए मात्र 5 सीटें
नई दिल्ली। पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव के साथ ही जमीनी कार्यकर्ताओं के संघर्ष पर खड़ी हुई समाजवादी पार्टी को अखिलेश यादव संभाल नहीं पा रहे हैं। जब से पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथों में आई है तब से पार्टी लगातार रसातल में जा रही है। विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी का जनाधार लगातार घटा है। 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के साथ मिलकर 5 सीटों पर सिमटने वाले अखिलेश यादव यह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ रहे हैं। टिकट बंटवारे में ही समाजवादी पार्टी की स्थिति डांवाडोल दिखाई दे रही है। कई सीटों पर प्रत्याशियों के बार-बार बदलने से चुनाव में गुटबाजी उभरने का अंदेशा पैदा हो गया है।
इन लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का आत्मविश्वास डगमगाया दिखाई दे रहा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया टिकट बंटवारे में ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर प्रत्याशियों के बदले जाने से चुनाव में भितरघात की आशंका जताई जा रही है। इसे आजम का दबाव कहें या फिर मजबूरी मुरादाबाद में अखिलेश यादव को सिटिंग एमपी एसटी हसन का टिकट काटकर बिजनौर से विधायक रहीं रुचि वीरा को टिकट देना पड़ा। मुरादाबाद में एसटी हसन समर्थकों के विरोध के चलते अब रुचि वीरा का चुनाव लड़ना मुश्किल हो रहा है।
नगीना सीट पर भी एन वक्त पर चंद्रशेखर आजाद को ठेंगा दिखा दिया गया। दरअसल चंद्रशेखर आजाद नगीना लोकसभा सीट पर अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़ना चाह रहे थे। अब चंद्रशेखर आजाद अपनी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं और पूर्व जज मनोज कुमार समाजवादी पार्टी से चुनावी समर में हैं। चंद्रशेखर आजाद अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। रामपुर से मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को चुनाव लड़ाने की वजह से आजम खान नाराज बताए जा रहे हैं। हो सकता है कि लोकसभा के बीच में ही वह कोई खेल कर दें। ये तो कुछ उदाहरण हैं समाजवादी पार्टी की अधिकतर सीटों पर यही हाल है।
मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 में पार्टी का गठन कर पहले ही लोकसभा चुनाव 1996 में 17 सीटें जीत ली थीं। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में लड़े गये 1998 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 20 सीटें जीतीं। 1999 में 26 तो 2004 में 36 सीटें जीत लीं। 2004 का लोकसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में लड़ा गया था। इन चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सबसे अधिक 36 सीटें जीती थी। 2009 में जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी तो समाजवादी पार्टी ने 23 सीटें ही जीत पाई थी।
2019 का लोकसभा चुनाव अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक प्रतिद्ंदी रहीं मायावती के साथ गठबंधन कर लड़ा। इन चुनाव में भी अखिलेश यादव गच्चा खा गये। बसपा तो 10 सीटें ले आई पर समाजवादी पार्टी मात्र 5 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। अब अखिलेश यादव उसी कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, जिस कांग्रेस के साथ मिलकर 2017 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से शिकस्त खाई थी। इन चुनाव में कांग्रेस 17 तो सपा 6३ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अब देखना यह होगा कि इन चुनाव में अखिलेश यादव क्या गुल खिलाते हैं।