लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार की जा रही है। तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को पूरा करा रहे हैं। जीत को लेकर अपने-अपने दावे कर रहे हैं। जनता के मन में क्या है? इस पर तो चुनाव परिणाम के बाद ही निर्णय हो पाएगा। हालांकि, इससे पहले विभिन्न मीडिया चैनल और एजेंसियों के एग्जिट पोल सर्वे यूपी में विपक्ष की खराब स्थिति को दर्शा रहे हैं। अधिकांश एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल सर्वे में एक बार फिर यूपी की राजनीति में एक साथ आए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की जोड़ी का कोई खास इफेक्ट होता नहीं दिखा रहे हैं। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी की 80 लोकसभा सीटें केंद्र सरकार का निर्धारण करती रही हैं। कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है। इसको लेकर तमाम राजनीतिक दल जोर लगा रहे हैं, लेकिन भाजपा के इस गढ़ को भेद पाना एक बार फिर मुश्किल होता दिख रहा है। तमाम सर्वे विपक्ष को 2 से तीन और एनडीए को 77 से 78 सीटें देते दिख रहे हैं।
जीत की रणनीति तैयार कर रहे दल
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर जीत की रणनीति तैयार की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ समाजवादी पार्टी पीडीए पॉलिटिक्स के जरिए बढ़त बनने की कोशिश करती दिख रही है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बार लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है। इसके अलावा अपना दल कमेरावादी और अन्य छोटे-छोटे दलों के साथ पार्टी गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतर रही है। गठबंधन के तहत सपा को 63 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली है। दूसरी तरफ एनडीए में भी सीट बंटवारे का फार्मूला लगभग तय हो चुका है।
Mahagun Manorialleभारतीय जनता पार्टी 75, राष्ट्रीय लोक दल दो और अपना दल एस दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एनडीए के साथ गठबंधन के तहत अब तक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर को एक सीट मिली है। निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को भाजपा ने अपने टिकट पर एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है।गठबंधन को फुल टाइट करने में भाजपा सफल रही है। ओपिनियन पोल में भी इसका असर दिख रहा है। भाजपा ने अपनी स्थिति पूर्वांचल में ओमप्रकाश राजभर और पश्चिमी यूपी में जयंत चौधरी के साथ आने के बाद काफी मजबूत कर ली है। वहीं, राम मंदिर इफेक्ट भी यूपी की राजनीति को प्रभावित करता दिख रहा है।
एग्जिट में दिख रहा असर
भाजपा यूपी में पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरेगी। क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधा गया है। इसका असर पिछले दिनों आए तमाम एग्जिट पोल सर्वे में दिखा है। बुधवार को एबीपी की ओर से कराए गए एग्जिट पोल का रिजल्ट पर भी सबकी नजर है। पिछले माह आए एग्जिट पोल से लेकर पिछले दिनों आए इंडिया टीवी के एग्जिट पोल तक विपक्षी गठबंधन को यूपी में झटका लगता दिख रहा है। इंडिया टीवी के ओपिनियन पोल में विपक्षी गठबंधन को महज दो सीटों पर जीत मिलती दिख रही है। वहीं, एनडीए के पाले में 78 सीटें जाती दिख रही है। कुछ यही हाल एबीपी के एग्जिट पोल सर्वे का भी है।
क्या है इंडिया टीवी का ओपिनियन पोल?
इंडिया टीवी के ओपिनयन पोल में एनडीए को 78 सीटों पर जीत का अनुमान दिखाया गया है। बुंदेलखंड, पश्चिमी यूपी से पूर्वांचल तक भाजपा को इस ओपिनियन पोल में बढ़त मिलती दिख रही है। पार्टी को इस बार 50 फीसदी से अधिक वोट मिलने का अनुमान है। भाजपा अपने अकेले 73 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है। वहीं, रालोद को दो, अपना दल एस को दो और एसबीएसपी को एक सीट पर जीत मिल सकती है। वहीं, सपा को दो सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है।
इंडिया टीवी ओपिनियन पोल में कांग्रेस और बसपा का खाता नहीं खुलने का अनुमान है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को रायबरेली सीट पर जीत मिली थी, लेकिन सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति से बाहर होने के बाद इस सीट पर भी कांग्रेस को अमेठी की तरह झटका लग सकता है।
क्या है सर्वे का रिजल्ट?
एबीपी के दिसंबर 2023 में आए एग्जिट पोल सर्वे में भी विपक्ष का सूपड़ा साफ होता दिखा था। हालांकि, उस समय तक सपा- कांग्रेस गठबंधन का ऐलान नहीं हुआ था। उस समय आए लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को यूपी में 73 से 75 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। वहीं, कांग्रेस- सपा को 4 से 6 सीटें, बीएसपी को 0 से 2 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। वहीं, यूपी में एनडीए को 49 फीसदी वोट मिलने की संभावना जताई गई थी। वहीं, कांग्रेस- सपा को 35 प्रतिशत, बीएसपी को 5 प्रतिशत और अन्य को 11 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया।
सर्वे में भी एनडीए की बल्ले- बल्ले
सर्वे में भी एनडीए को यूपी में बड़ी बढ़त मिलती दिख रही है। भाजपा ने यहां पर 80 में से 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। सपा हर हाल में भाजपा का विजय रथ रोकने की कोशिश कर रही है। हालांकि, फरवरी के शुरुआत में आए टाइम्स नाउ नवभारत के देशव्यापी सर्वे में एनडीए को 77 सीटों पर जीत मिलती दिखी। उस समय रालोद विपक्षी गठबंधन के साथ थी। विपक्षी गठबंधन को 80 में 77 सीटों पर जीत मिलती दिखी। बसपा और अन्य दलों का खाता नहीं खुलने का अनुमान जताया गया है। हालांकि, अब रालोद के एनडीए की तरफ आने के बाद स्थिति में बदलाव होने की उम्मीद है।