
चरण सिंह
क्या बसपा मुखिया मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने उनका खेल बिगाड़ दिया है। क्या इन चुनाव में मायावती कुछ नहीं कर पाएंगी ? क्या मायावती केंद्र में काबिज बीजेपी के दबाव में हैं। आज की तारीख में ये सभी सवाल देश की राजनीति में तैर रहे हैं। इन सवालों के उभर कर सामने आने का बड़ा कारण यह है कि बसपा चुनाव में दिखाई दे रही थी। मायावती के उत्तराधिकारी माने जाने वाले आकाश आनंद तथ्यों के आधार पर केंद्र के साथ उत्तर प्रदेश सरकार पर हमलावर थे।
सीतापुर में उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए भाजपा को आतंकवादियों और गद्दारों तक की पार्टी ठहरा दिया। जब भाजपा के खिलाफ मायावती भी एक शब्द नहीं बोल पा रही थीं तो आकाश आनंद की क्या बिसात कि वह भाजपा के खिलाफ इतना तक बोल दें। वह बात दूसरी है कि खुद प्रधानमंत्री दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नक्सली तक कहते रहे हैं। आकाश आनंद के मामले में वही हुआ जिसका अंदेशा मायावती को था। आकाश आनंद बीजेपी पर कुछ ज्यादा ही हमलावर थे। आकाश आनंद ने पहला जो भाषण नगीना में दिया उसको सुनकर ही लग रहा था कि मायावती आकाश आनंद को कुछ नसीहत देंगी। आकाश आनंद सही बोल रहे थे पर आज की तारीफ में मायावती में वह हिम्मत नहीं रही कि केंद्र सरकार का हमला झेल लें।
यह मायावती का आकाश आनंद को समझाना न रहा हो या फिर अति उत्साह आकाश आनंद का भाजपा पर हमला ज्यादा ही होता रहा। सीतापुर में तो आकाश आनंद ने पूर तरह से बीजेपी पर भड़ास निकाल ही दी। आकाश आनंद के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में मामला दर्ज है। मायावती जानती हैं कि यदि मामले को निपटाया न गया तो आकाश आनंद को आने समय में इन धाराओं के तहत सजा भी हो सकती है। ऐसे में उनका राजनीतिक करियर भी खत्म हो सकता है। वैसे भी मायावती और उनके भाई आनंद कुमार पर भी सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी के छापों का डर हमेशा बंधा रहता है। ऐसे में भाजपा के दबाव में रहकर उसके हिसाब से चुनाव लड़ने के अलावा मायावती के पास कोई चारा है भी नहीं। यही वजह रही कि न केवल अखिलेश यादव पर कांग्रेस और भाजपा ने भी उन्हें नसीहत दे दी।
हर बात का बेबाकी से जवाब देने वाली मायावती आज चुप हैं। इसलिए उनके सामने एक नहीं अनेक चुनौतियों हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो उनके सामने अपने भतीजे आकाश आनंद को बचाना है। दूसरी दोनों हाथों से समेटा धन कैसे बचाया जाए। एनसीआर में अपनी और अपने भाई की संपत्ति कैसे बचाई जाए। साथ ही बसपा का वजूद भी बचाना है। इन सबके बीच यह समझना होगा कि यदि मायावती आज की तारीख में स्टैंड ले लें और आकाश आनंद को खुली छूट दे दें तो आकाश आनंद के भाषणों में इतना दम है कि वह बड़े नेता के रूप में उभरकर सामने आ सकते हैं। जहां तक जेल जाने की बात है तो नेता तो जेल जाने से ही बनता है। इन चुनाव में जिस तरह से आकाश आनंद भाजपा पर हमलावर थे उतना तो विपक्ष का कोई भी नेता नहीं हो रहा था।
आकाश आनंद तथ्यों के आधार पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को घेर रहे थे। वह बसपा के युवा कार्यकर्ताओं में जोश भरते दिखाई दे रहे थे। देखना यह होगा कि यदि दलितों का युवा वर्ग का एक दबका यदि चंद्रशेखर आजाद में अपना नेता ढूंढ रहा है तो दलितों के ऐसे भी बहुत से युवा हैं जो आकाश आनंद को अपना नेता मानने लगे हैं। ऐसे में राजनीति के लिहाज से आकाश आनंद को इस तरह से पदों से हटाने के मायावती के निर्णय को सही नहीं ठहराया जा सकता है। नेता तो माफी मांग कर मामले पर पानी डाल देते रहे हैं। इसका मतलब भाजपा की ओर से मायावती पर बड़ा दबाव है।