चरण सिंह
भले ही बसपा के राष्ट्रीय कोर्डिनेटर आकाश आनंद के खिलाफ विवादित भाषण के चलते गैर जमानती धाराओं के तहत सीतापुर में एफ आई आर दर्ज करा दी गई हो, भले ही पार्टी की मुखिया मायावती ने उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार से उन्हें हटा लिया हो। भले ही आकाश आनंद को दक्षिण में चुनाव प्रचार के लिए भेजने की बात बसपा नेता कर रहे हों। पर यह समझ लेना चाहिए कि आकाश आनंद इन लोकसभा चुनाव में पूरी चमक चुके हैं।
सीतापुर में आकाश आनंद ने जो भाषण बीजेपी पर हमला बोलते हुए दिया है, वह जमकर वायरल हो रहा है। आकाश आनंद के समर्थक उनके इस भाषण की तारीफ कर रहे हैं। उन्हें सही ठहरा रहे हैं। बीजेपी विरोधी लोग आकाश आनंद के इस भाषण की तारीफ करते देखे जा रहे हैं।
बसपा समर्थक कह रहे हैं कि जब केजरीवाल को नक्सली बोला गया, जब बीजेपी सांसद रमेश विधूड़ी ने तत्कालीन बसपा सांसद दानिश अली को लोकसभा में आतंकवादी बोला तब उन पर एफ आई आर दर्ज क्यों नहीं दर्ज की गई ?
दरअसल आकाश आनंद जिस तरह से भाषण दे रहे हैं, जिस तरह से उन्होंने तथ्यों के आधार पर बीजेपी को ललकारा है, उससे उनका कद राजनीति में बढ़ा है। निश्चित रूप से आकाश आनंद वंशवाद की देन है पर उनके भाषण में धार है।
हां उनको अपनी भाषा पर कमांड रखना होगा।
बीजेपी ही नहीं कांग्रेस, सपा भी आकाश आनंद के बढ़ते कद को पचा नहीं पा रहे हैं। बसपा मुखिया ने ऐसे ही दिल्ली में सभी सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। यह कहीं न कहीं आकाश आनंद की सुरक्षा कवच का हिस्सा है।
29 अप्रैल को आकाश आनंद के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की और उसके बाद दिल्ली में सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए गए। जगजाहिर है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मिलकर चुनाव लड़ने से बीजेपी के लिए सातों सीटें जीतना न केवल मुश्किल है बल्कि ना मुमकिन है ऐसे बीएसपी दिल्ली में इंडिया गठबंधन के वोट ही तो कटेगी।
जहां तक आकाश आनंद के सीतापुर प्रकरण की बात है तो प्रकरण का आकाश आनंद को फायदा होगा न कि नुकसान। मायावती बीजेपी से सब कुछ मैनेज कर लेगी।