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आकाश आनंद ही बनेंगे बीएसपी के खेवनहार!

चरण सिंह 

क्या आकाश आनंद को उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की वजह से पार्टी से निकाला गया है ? क्या आकाश आनंद का राजनीतिक करियर खत्म हो चुका है ? क्या बसपा मुखिया मायावती अब आकाश आनंद को पार्टी में नहीं लेंगी ? क्या बसपा को आनंद कुमार चला लेंगे ? क्या दूसरे राष्ट्रीय कोर्डिनेटर रामजी गौतम संगठन को चला लेंगे ? क्या बसपा में मायावती के इस निर्णय के सामने सब नतमस्तक हो जाएंगे ? ये सभी प्रश्न देश की राजनीति में तैर रहे हैं।

दरअसल बसपा में बड़े स्तर पर कार्यकर्ता आकाश आनंद को पसंद करने लगे हैं। मायावती के इस निर्णय को बीजेपी के दबाव में लिया गया निर्णय मान कर चल रहे हैं। बीएसपी में एक बड़ा धड़ा मायावती को बीजेपी के दबाव में मानकर चल रहा है। आकाश आनंद के भाषण और उनके सत्तारूढ़ पार्टी पर आक्रामक स्टाइल को पसंद किया जा रहा है।
जिस तरह से आकाश आनंद ने बड़ी चुनौतियां होने की बात कही है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि बीएसपी में आकाश आनंद के पक्ष में आवाज उठने की चर्चा तेज हो चुकी है। मायावती को मजबूर किया जा सकता है कि वह उन्हें पार्टी में लें। क्योंकि बसपा कार्यकर्ता मानकर चल रहे हैं कि आकाश आनंद ही बीएसपी को जीवित कर सकते हैं। जिस तरह से मायावती बीजेपी के दबाव में बताई जा रही हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि आकाश आनंद के बिना बीएसपी और रसातल की ओर जाएगी। आकाश आनंद को लेकर बीएसपी में बगावत हो जाए तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
इसमें दो राय नहीं कि आकाश आनंद जिस तरह से तथ्यों पर आधारित भाषण देते हैं। जिस तरह से वह दलितों से जुड़े मुद्द्दे उठाते हैं। ऐसा लगता है कि जूनियर अंबेडकर बोल रहे हैं। कांशीराम का मिशन उनके विचारों में दिखाई देता है। उनका भाषण ओजस्वी तो होता ही है साथ ही  युवाओं को आकर्षित करने वाला भी होता है। जिस तरह से वह सत्तारूढ़ पार्टी को घेरते हुए पोस्ट करते हैं तो वह न केवल  अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे युवा नेताओं को भारी पड़ते दिखाई देते हैं बल्कि उनकी भाषा झकझोरने वाली होती है। इसमें दो राय   नहीं कि परिवारवाद और वंशवाद लोकतंत्र के लिए घातक है पर आकाश आनंद दलितों के मान सम्मान और अधिकार की लड़ाई लड़ने के साथ ही सत्ता की आंख में आंख डालकर बोलना भी जानते हैं। जिस तरह से दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ जाने वाले यात्रियों के भगदड़ मचने पर 18 लोगों की मौत हो गई थी और आकाश आनंद ने न केवल रेलवे प्रशासन को घेरा था वहीं योगी सरकार को भी कटघरे में भी खड़ा किया था। जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के लोगों को बेड़ियाँ और हथकड़ी के साथ सैन्य विमान से उतारा तो आकाश आनंद ने कहा कि अभागे भारतीय अमेरिका में रोजगार लेने गए थे। कमजोर और कायर सरकार के चलते उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में लाया गया। उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने नागरिकों का सम्मान नहीं कर सकती वह विश्व गुरु बनने की बात करती है।
 मतलब आकाश आनंद में सत्ता को ललकारने के भी नैतिक साहस है। वैसे भी बीएसपी में आकाश आनंद जैसे नेता की ही जरूरत है। मायावती को यह भी समझ लेना चाहिए कि उनका कैडर लगातार चंद्रशेखर आज़ाद की ओर आकर्षित हो रहा है। ऐसे में आकाश आनंद को पार्टी से निकालना मायावती के लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। अंतत: उन्होंने आकाश आनंद को पार्टी में लाना ही होगा। यदि बीएसपी में आकाश नहीं आये तो फिर वह किसी दूसरे मंच पर आक्रामक राजनीति करेंगे।
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