दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार में पुलों की डिजाइन की जांच होगी। यह फैसला भागलपुर में एक पुल के दोबारा टूटने के बाद लिया गया। पथ निर्माण विभाग ने तय किया है कि निर्माणाधीन पांच बड़े पुलों के डिजाइन की जांच की जाएगी। इनमें वे पुल शामिल हैं जो EPC मोड में बन रहे हैं। EPC मोड का मतलब है कि निर्माण की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होती है। पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने यह निर्देश दिया है। उनका मानना है कि निर्माण कंपनियां अपने फायदे के लिए डिजाइन में बदलाव कर लेती हैं।
जिन पुलों की जांच होगी उनमें पटना का अशोक राजपथ पर बन रहा डबल डेकर पुल भी शामिल है। यह पुल कारगिल चौक से इंजीनियरिंग कॉलेज मोड़ तक बनेगा। इसके अलावा पटना के करौटा से नालंदा के बीच बन रही नई सड़क पर बनने वाला पुल भी जांच के दायरे में है। सहरसा में कोसी नदी और पूर्णिया में महानंदा नदी पर बन रहे पुलों की भी जांच होगी। यह सभी पुल बिहार राज्य पुल निर्माण निगम की देखरेख में बन रहे हैं।
भागलपुर के सुल्तानगंज में अगवानी घाट पुल का निर्माण कार्य चल रहा था। इस पुल का ऊपरी हिस्सा दो बार गिर गया। पथ निर्माण विभाग ने इसकी जांच कराई। जांच में पता चला कि पुल के डिजाइन में ही खराबी थी। इसके बाद तय हुआ कि सभी पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट कराई जाएगी। ईपीसी मोड में बनने वाले पुलों के लिए एक खास व्यवस्था होती है। निर्माण कंपनी विभाग की सहमति से एक अथॉरिटी इंजीनियर नियुक्त करती है।
यह अथॉरिटी इंजीनियर ही पुल के हर हिस्से के डिजाइन को मंजूरी देता है। इसे कई स्तर पर परखा जाता है। पूरी जिम्मेदारी अथॉरिटी इंजीनियर की होती है। निर्माण कंपनी और अथॉरिटी इंजीनियर डिजाइन को लेकर लगातार संपर्क में रहते हैं। इस घटना के बाद से निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।