समस्तीपुर पूसा डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में सोमवार को समेकित कृषि प्रणाली विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत आगत अतिथियों सहित प्रशिक्षणार्थियों ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। प्रशिक्षण सत्र की अध्यक्षता करते हुए शश्य विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा देवेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि अनवरत चलने वाली एक उद्योग है। बिना कृषि के मानवीय जीवन अधूरा है। कृषि के साथ साथ समेकित कृषि प्रणाली परंपरागत काल से ही सतत चलते हुए आ रहा है। मेकेनाइजेशन के कारण करीब करीब बैल कृषि कार्यों से मुक्ति ही पा लिया है। बिहार के किसान गरीब जरूर है पर समयानुसार अपनी खेती को ढालने का तरकीब बखूबी जानता है।
किसान हर विपरीत परिस्थिति से जूझने के लिए सतत तैयार रहते है। किसानों के खेत से उत्पादन हुए उत्पादों को बाजार के व्यापारियों ने कम कीमत देकर उठा ले जाता है। जबकि उसी उत्पादों को प्रसंस्करण कर चौगुना दाम पर बाजार में उपलब्ध करवा देता है। जिससे उत्पादों के बदले मिलने वाले लाभ से किसान वंचित रह जाते है। किसानों को बिचौलियों से भी बचने की जरूरत है। घटते हुए जोत के जमीन के दौर में किसानों को बेहतर आमदनी प्राप्त करने के लिए समेकित कृषि प्रणाली वरदान साबित हो रहा है। समेकित कृषि प्रणाली से प्राप्त होने वाले उत्पादों का बाजारीकरण में तो असुविधा जरूर होता है। हालांकि एफपीओ से जुड़कर उत्पादों का वैल्यू एडिशन कर किसान बेहतर आमदनी कर सकते है। विशिष्ट अतिथि के रूप शश्य विज्ञान विभाग के प्राध्यापक सह जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के निदेशक डा रत्नेश कुमार झा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में समेकित कृषि प्रणाली की मांग है।
बढ़ते हुए आबादी के क्रम में पोषण सुरक्षा पर दबाव बढ़ता जा रहा है। किसानों को उपलब्ध संसाधन का उपयोग करते हुए खेती करने की जरूरत है। प्रशिक्षण सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डा अनुपमा कुमारी ने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली को अपनाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति में स्वाभाविक रूप से समृद्धि ला सकते है। मौके पर सुरेश कुमार आदि मौजूद थे।