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दिल्ली के करीब ऐसा गॉंव जहाँ लोगों के पास नहीं है भारत की नागरिकता

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देश की राजधानी दिल्ली से महज़ 100 किलोमीटर दूर हापुड़ जिला के गढ़ विधानसभा क्षेत्र में गंगा के बीच टापू पर गंगा नगर के नाम सेगांव बसाया गया है।लकड़ी के मकानों के गांव में करीब 40 साल से रह रहे 120 परिवारों के पास भारत की नागरिकता नहीं है। यहां रहने वाले इन परिवार के करीब 600 लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने का आज भी इंतजार है। जबकि विधानसभ और लोकसभा सहित अन्य किसी भी चुनाव में इनको मतदान करने का भी अधिकार नहीं है। हालांकि समय-समय पर इन लोगों की ओर से उठाई गई मांगों को जनप्रतिनिधि समस्या का निस्तारण करने का आश्वासन जरूर दे देते हैं। लेकिन सुनवाई नहीं होती है। भारत की नागरिकता ना कारण इस गांव के लोगों के पास अच्छी नौकरी भी नहीं है। खेती बाड़ी कर के ये लोग अपना गुज़ारा करते है। और अब वन विभाग इनसे इनकी ज़मीन भी छीनना चाहती है।

जब हम गंगा नगर गॉंव पहुंचे तो गॉंव निवासी अरुण, दीपक, नरेश, सविता, राकेश का कहना है कि 1971 के बाद से उनके परिवार यहां रहा है। देश की आजादी के समय ये परिवार 1950 में पूर्वी पाकिस्तान से भारत आया था। जबकि इनके पूर्वज वेस्ट बंगाल में कुछ समय रहने के बाद यहां पर आकर बस गए, लेकिन इन्हें बांग्लादेशी मानकर किसी तरह का कोई लाभ नहीं दिया गया। इनका वोटर कार्ड भी नहीं है। जिसके कारण उनको किसी भी चुनाव में मतदान करने का मौका नहीं मिलता है। जबकि न ही उनको सरकार से राशन, बिजली, पानी आदि की सुविधा दी जाती है।

लोगों ने हमें बताया पहले यहाँ की जमीन या तो बंजर थी, या दलदली. दिनभर चटाई बुनते जहां सांप-बिच्छू डोलते थे, इस सूने टापू को हमने सोना बना दिया और अब ये हमारी ज़मीन लेना चाहते है। ग्रामीण महादेव मंडल ने बताया कि उनका खुद का जन्म भी इसी गांव में हुआ है और कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती थी। हम लोगों को भी अच्छी सरकार बनाने के लिए मतदान में भाग दिलाना चाहिए। ग्रामीण केशव मंडल का कहना है कि सरकार ने जो सीएए कानून लागू किया था उससे उन्हें नागरिकता मिलने की उम्मीद बढ़ गई थी। लेकिन कुछ दिन बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। ग्रामीण अरुण मंडल का कहना है कि 1971 के बाद से उनके समाज के लोग यहां रह रहे हैं और उन्हें बांग्लादेशी मानकर अभी तक किसी सुविधा का कोई लाभ नहीं दिया गया है।

गढ़मुक्तेश्वर में बृजघाट चेकपोस्ट पार करते ही उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने लगती है। हमें गंगा नगर जाना है लेकिन जाने के लिए रास्ता नहीं है पक्की सड़क नहीं है बस ऐसा लग रहा था की एक पखडंडी के सहारे हम गंगानगर गॉंव जा रहे है। डर ये सता रहा है की कहीं गाड़ी न ख़राब हो जाये अगर ऐसा होता है तो मदद करने कौन आएगा इस सुनसान सी जगह पर आखिरकार मिट्टी रेट और सुखी नदी से बने दलदल को पार कर के हम गंगानगर बंगाली कॉलोनी पहुंचे लेकिन उस गॉंव में ना तो कोई वेलकम बोर्ड लगा था ना ही तो कोई तख्ती बस एक कोने में झाड़ियों के बीच में ब्लू कलर का बोर्ड दिखा जिस पर लिखा था गंगानगर बंगाली कॉलोनी।कुछ दिन पहले ही एक टीम आई थी। किसी पार्टी की. उन्होंने हर घर के मुखिया का नाम पूछा. थोड़ा-बहुत गांव भी घूमे. कह रहे थे कि ऊपर से कहा गया है कि इस टापू पर बांग्लादेशी रहते है। उनकी जांच करो। हालाँकि अरुण ने बताया कि हमारी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से भी बात मुलाकात हुई थी। योगी जी ने आश्वाशन दिया है की आपका गॉंव आपसे कोई खाली नहीं कराएगा हम जल्द ही एक टीम आपके गॉंव भेजेंगे।