
दरअसल कंगना रनौत के डोनाल्ड ट्रंप पर दिए हालिया बयान को उनके व्यक्तिगत विचार और सोशल मीडिया पर उनकी बेबाक शैली के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। 15 मई 2025 को, कंगना ने ट्रंप के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी थी जिसमें उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से भारत में उत्पादन न करने की बात कही थी। कंगना ने अपने पोस्ट में ट्रंप की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करते हुए लिखा था कि ट्रंप भले ही “अल्फा मेल” हों, लेकिन मोदी “सब अल्फा मेल के बाप” हैं, और यह उनकी व्यक्तिगत ईर्ष्या या कूटनीतिक असुरक्षा हो सकती है। इस पोस्ट को बाद में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर डिलीट कर दिया गया, और कंगना ने अपनी निजी राय सार्वजनिक करने पर खेद जताया।
व्यक्तिगत राय और अतिशयोक्ति : कंगना की शैली अक्सर तीखी और अतिशयोक्तिपूर्ण होती है, जो उनके प्रशंसकों को आकर्षित करती है, लेकिन विवाद भी पैदा करती है। यह बयान उनकी देशभक्ति और मोदी के प्रति समर्थन को दर्शाता है, लेकिन इसे गंभीर कूटनीतिक विश्लेषण के बजाय भावनात्मक प्रतिक्रिया के रूप में लिया जाना चाहिए।
राजनीतिक संदर्भ : कंगना एक बीजेपी सांसद हैं, और उनकी पार्टी ने इस बयान से दूरी बनाई, यह दर्शाता है कि यह पार्टी की आधिकारिक राय नहीं थी। बीजेपी का यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों को संवेदनशीलता के साथ बनाए रखने की कोशिश को दिखाता है, खासकर जब ट्रंप और मोदी के बीच अच्छे संबंध रहे हैं।
सोशल मीडिया की रणनीति : कंगना अक्सर सोशल मीडिया पर चर्चा में बने रहने के लिए उत्तेजक बयान देती हैं। यह पोस्ट भी उनके फॉलोअर्स का ध्यान खींचने और राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारने का प्रयास हो सकता है। हालांकि, इसे डिलीट करना दर्शाता है कि पार्टी लाइन से बाहर जाने की सीमाएं हैं।
विवाद और सीख : कंगना के इस बयान पर बीजेपी की त्वरित प्रतिक्रिया और पोस्ट डिलीट करने का निर्देश यह दर्शाता है कि ऐसे बयान अनावश्यक विवाद पैदा कर सकते हैं। कंगना ने पहले भी किसान आंदोलन और आजादी जैसे मुद्दों पर विवादित बयान दिए हैं, जिसके लिए उन्हें चेतावनी मिली है। यह घटना उनकी बयानबाजी पर पार्टी के नियंत्रण को रेखांकित करती है।