प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल कह रहे थे कि नवल रतन टाटा के परदादा जमशेदजी टाटा को भारत में उद्योग लगाने के लिए 1868 में स्वामी विवेकानंद ने कहा था। प्रधानमंत्री ने यह बात अपने चिर-परिचित अंदाज में कही।
भक्तों जरा प्रधानमंत्री को आप सब समझाएं कि ऐसे ऊलजलूल बयान देने से बचें। उन्हें कहें कि हमें (अंधभक्तों) अच्छा नहीं लगता जब आपके विरोधी आपके द्वारा बोले गए गलत शब्दों पर आपको घेरते हैं। अज्ञानी लोगों को दूसरों से सीखने की तमन्ना होती है। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने आगे किसी को भी जानकार मानते ही नहीं हैं। उन्हें लगता है कि मैं जो बोल रहा हूं वही अंतिम सत्य है। अपने प्रधानमंत्री भी वैसे ही लोगों में से एक हैं।
आप सब को याद होगा कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। जमशेदजी टाटा ने अपना कारोबार 1868 में शुरू किया। उस हिसाब से स्वामी विवेकानंद की आयु तब मात्र पांच साल थी, लेकिन नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने तीस साल की आयु में जमशेदजी टाटा को कारोबार शुरू करने का आग्रह किया था। अब यहां दो बात हो सकती है कि या तो इतिहास गलत है या हमारे नन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री, जो कि अपने आप को परमात्मा का दूत कहते हैं वो ग़लत हैं। आपको क्या लगता है कौन गलत है? इतिहास या परमात्मा के दूत?